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छत्तीसगढ़ की जोया मिर्जा ने ऐसे रचा इतिहास, तमाम संघर्षों के बाद सपना हुआ पूरा

जोया ने 2023-24 में AFMC में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करके यह उपलब्धि हासिल की। कॉलेज में लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए अधिक कट-ऑफ है। यह उपलब्धि जोया के दृढ़ संकल्प और अपने राष्ट्र की सेवा करने की मजबूत प्रतिबद्धता को दिखाती है।

जीव विज्ञान की पढ़ाई कर रही जोया ने 12वीं कक्षा के दौरान ही NEET परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। / FILE PHOTO

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की रहने वाली जोया मिर्जा (Zoya Mirza) ने आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कालेज (AFMC) पुणे में एमबीबीएस पूरा करने के बाद भारतीय सेना में एक कमीशन लेफ्टिनेंट डॉक्टर बनकर इतिहास रच दिया। उन्होंने 2023-24 में AFMC में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करके यह उपलब्धि हासिल की। कॉलेज में लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए अधिक कट-ऑफ है। यह उपलब्धि जोया के दृढ़ संकल्प और अपने राष्ट्र की सेवा करने की मजबूत प्रतिबद्धता को दिखाती है।

जोया का कहना है कि मैं बचपन से ही अध्ययनशील रही हूं। पढ़ाई के प्रति मेरे झुकाव को देखकर मेरी दादी ने मुझे डॉक्टर बनने और लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। दुर्भाग्य से एक साल पहले उनका निधन हो गया और वह मुझे डॉक्टरी पोशाक पहने हुए नहीं देख सकी। जोया के मुताबिक मेरे परिवार को वित्तीय संघर्षों का सामना करना पड़ा, इसलिए मेरे माता-पिता ने मुझे पास के एक कम प्रतिष्ठित प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलाया। मैंने तीसरी कक्षा पूरी करने तक वहां पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने मुझे केपीएस भिलाई में भेज दिया, जहां मैंने 12वीं कक्षा तक अपनी शिक्षा पूरी की।

जीव विज्ञान की पढ़ाई कर रही जोया ने 12वीं कक्षा के दौरान ही NEET परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई। अपने रिजल्ट से निराश महसूस करते हुए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में ग्रेजुएट की पढ़ाई करने का मन बना लिया। लेकिन उनकी दादी और पिता ने उन्हें एक साल का गैप लेने और NEET की तैयारी के लिए कोटा भेजने के लिए राजी किया।

जोया का कहना है कि इस बीच मेरी मां ने एक सरकारी स्कूल के टीचर के रूप में कमाई शुरू कर दी और मेरे पिता ने छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ के लिए पिच क्यूरेटर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। फिर भी, मेरे माता-पिता को मेरी शिक्षा के लिए पैसे उधार लेने पड़े। मैं कोटा गई, लेकिन मेरा आत्मविश्वास तब प्रभावित हुआ जब मैंने देखा कि अन्य छात्र प्रैक्टिस टेस्ट में मुझसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि NEET परीक्षा से 15-20 दिन पहले मुझे अपनी दादी की बीमारी के कारण घर लौटना पड़ा। बाद में, मैं अपनी दूसरी कोशिश के लिए कोटा लौट आई। अफसोस की बात है कि मैंने सिर्फ एक रैंक से सीट सुरक्षित करने का अवसर गंवा दिया। हालांकि मेरी रैंक 13वीं थी, लेकिन सीट एलोकेशन 12वीं पर समाप्त हो गया।

इसके बाद मेरी दादी ने मुझे NEET में एक और मौका लेने के लिए प्रोत्साहित किया और मुझे भिलाई वापस बुलाया, जहां मैंने एक कोचिंग सेंटर जॉइन किया। जोया ने कहा कि भिलाई के शिक्षकों, विशेष रूप से अय्यर, विकास और सौरभ ने मेरा मनोबल बनाए रखने में मुझे बहुत सहयोग दिया।

जोया का कहना है कि उनकी दादी और पिता बताया करते थे कि दुनिया में दो महान पेशे हैं - एक डॉक्टर और दूसरा सैनिक होना। उन्होंने कहा, एक डॉक्टर के तौर पर मैं लोगों की सेवा कर सकती हूं और रक्षा सेवाओं में शामिल होकर मैं राष्ट्र की सेवा कर सकती हूं। उन्होंने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानती हैं कि उन्हें यह दोनों अवसर मिले।

जोया का कहना है कि 2019 में मैंने 622 अंकों के साथ पहली बार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित NEET को पास किया और AFMC का विकल्प चुना। AFMC में महिला उम्मीदवारों के लिए कट-ऑफ स्कोर 620 था, जबकि पुरुष उम्मीदवारों के लिए यह 600 अंक था। AFMC में 4.5 साल के एमबीबीएस कोर्स को पूरा करने से उनके परिवार का सपना पूरा हुआ। अब, जैसा कि मुझे भारतीय सेना में कमीशन मिला है, मैं एक डॉक्टर और एक सैनिक के रूप में सेवा कर सकती हूं।

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