भारत के सबसे बड़े और सबसे सफल गैर-सरकारी शिक्षा संगठनों में से एक 'प्रथम यूएसए' द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में कक्षा पांच के लगभग 50 फीसदी छात्र दूसरी क्लास के स्तर का पाठ पढ़ने में भी सक्षम नहीं हैं।
प्रथम यूएसए के पूर्व अध्यक्ष योगी पटेल ने कहा कि वैसे तो बच्चों को शिक्षित करना आखिरकार सरकार की जिम्मेदारी होती है, लेकिन उनके जैसे गैर-लाभकारी संगठन उत्प्रेरक की भूमिका निभाकर इस समस्या के समाधान में सहयोग कर सकते हैं।
योगी पटेल ने न्यू इंडिया अब्रॉड से बातचीत में कहा कि हमारे पास कोई स्कूल नहीं है। हम सरकारी स्कूलों के साथ साझेदारी कर रहे हैं। उनका कहना था कि गैर-लाभकारी संगठन यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चों को सप्लीमेंट्री एजुकेशन ऑफर करते हैं ताकि वे पढ़ने, लिखने और अंकगणित की मूल बातें जान सकें।
योगी पटेल ने कहा कि उन्होंने कई बार भारत की यात्रा की है और विभिन्न राज्यों के स्कूलों का दौरा किया है। मैंने स्कूल में बच्चों का टेस्ट भी लिया। मैंने देखा कि बहुत से बच्चे जो तीसरी कक्षा, चौथी कक्षा में पढ़ते हैं, फिर भी अपना नाम तक नहीं लिख सकते। उत्तर प्रदेश, राजस्थान के स्कूलों के कई बच्चे तो ये तक नहीं जानते कि उनकी उम्र कितनी है।
योगी पटेल का कहना है कि यह समस्या हल हो सकती है बशर्ते सरकार इसमें हस्तक्षेप करे और स्कूलों के परफॉर्मेंस का जमीनी स्तर पर आकलन करे। पटेल ने कहा कि सरकार को स्कूलों से परफॉर्मेंस रिपोर्ट लेनी ही होगी। आप सिर्फ शिक्षकों को दोष नहीं दे सकते। आपको सवाल करना होगा कि सिस्टम में गड़बड़ क्यों है। इसका समाधान चीजों को कुछ अलग ढंग से करने से ही हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जब सरकार इस मुद्दे को स्वीकार करना शुरू कर देगी तब वास्तविक परिवर्तन आएगा। उस समय प्रथम जैसी गैर-लाभकारी संस्थाओं को यह काम करने की जरूरत नहीं रहेगी। मुझे उम्मीद है कि बदलाव आएगा और हमारे जैसे संगठनों की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
पटेल ने कहा कि मैं नहीं जानता कि अगले पांच साल में ये हो पाएगा या नहीं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि ऐसा होगा। तब मैं बच्चों को बांसुरी बजाना सिखाऊंगा क्योंकि उस वक्त उन्हें पता होगा कि पढ़ना कैसे है क्योंकि यह एक बुनियादी जरूरत है।
बता दें कि प्रथम यूएसए की शुरुआत 1994 में यूनिसेफ और मुंबई नगर निगम के सहयोग से मुंबई की मलिन बस्तियों में हुई थी। अब इसने 21 भारतीय राज्यों में साक्षरता एवं व्यावसायिक कार्यक्रमों के माध्यम से 7.5 करोड़ बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने में कामयाबी हासिल कर ली है। पिछले साल इस गैर-लाभकारी संस्था ने अमेरिका में 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए थे। इसमें भारतीय अमेरिकियों का अहम योगदान रहा था।
हालांकि योगी पटेल का कहना है कि अभी भी उनके काम को लेकर लोगों में जागरूकता कम है, जिसके कारण बहुत से लोग आसानी से उनके फंड रेजिंग कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते या उनके अभियानों में भाग लेने से हिचकते हैं।
उन्होंने बताया कि कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब दान की बात सुनकर बहुत से लोग आते ही नहीं, और जो आते हैं, वो हिचकिचाते हैं। ऐसे में हमें लोगों को आकर्षित करने के लिए बॉलीवुड हस्तियों या मशहूर लोगों को बुलाना पड़ता है। लेकिन ऐसा करना काफी महंगा पड़ता है क्योंकि बॉलीवुड हस्तियां बिना पैसे के नहीं आती हैं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login