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स्पोर्ट्स इंजरी से बचाने और उबारने में भी मददगार है योग

योग एथलीट्स के अंदर लचीलेपन, संतुलन और शक्ति में सुधार करता है जिससे उन्हें चोटों से बचने में मदद मिलती है। अगर चोट लग भी जाए तो वह तेजी से ठीक हो जाती है। योग ध्यान, एकाग्रता और तनाव प्रबंधन को भी बढ़ाता है।

योग खेल और खिलाड़ियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। / Image : svyasa.edu.in
लेखक डॉ. मंजूनाथ एनके बेंगलुरु की S-VYASA यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं। /

योग दुनिया को भारत की अनोखी देन है। शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान की वजह से यह खेल की दुनिया में भी बेहद लोकप्रिय है। योग अपनी शारीरिक मुद्राओं, श्वास अभ्यास और ध्यान के जरिए एथलीटों और उत्साही खिलाड़ियों को कई तरह के लाभ प्रदान करता है। 

योग एथलीट्स के अंदर लचीलेपन, संतुलन और शक्ति में सुधार करता है जिससे उन्हें चोटों से बचने में मदद मिलती है। अगर चोट लग भी जाए तो वह तेजी से ठीक हो जाती है। योग ध्यान, एकाग्रता और तनाव प्रबंधन को भी बढ़ाता है, जिनकी उच्च दबाव वाले प्रतिस्पर्धी खेलों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कई पेशेवर एथलीट अब बढ़त हासिल करने के लिए योग को अपनी प्रशिक्षण दिनचर्या में शामिल करते हैं। 

यह एथलीट्स के संपूर्ण प्रदर्शन और कल्याण में सुधार का एक मूल्यवान साधन बन चुका है। चाहे पेशेवर एथलीट हों या कभी-कभार खेल में हाथ आजमाने वाले खिलाड़ी, योग शारीरिक एवं मानसिक फिटनेस को बढ़ाकर खेल की दुनिया में लोगों की क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा है।

योग खेल के दौरान लगने वाली चोटों को कई तरह से रोकने में मददगार हो सकता है। इसका नियमित अभ्यास करने पर यह एथलीट्स और सक्रिय व्यक्तियों को कई तरीकों से लाभ पहुंचाता है। यहां कुछ तरीके बताए गए हैं जिनसे योग के जरिए खेलते वक्त चोट का आघात कम करने और उसे ठीक करने में सहायता मिल सकती है:

  • बेहतर लचीलापन: योग में स्ट्रेचिंग और लचीलेपन की एक्सरसाइज की विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है। नियमित अभ्यास से मांसपेशियों और जोड़ों का लचीलापन बढ़ता है, खेल के दौरान तनाव और मोच का जोखिम कम हो जाता है।
  • शक्ति संतुलन: योग के कई पोज़ ऐसे हैं, जो विभिन्न मांसपेशियों के संतुलन से पूरे होते हैं। इससे समग्र शक्ति और संतुलन सुधारने में मदद मिलती है। मजबूत मांसपेशियां जोड़ों को बेहतर तरीके से सपोर्ट करती हैं और चोटों की संभावना को घटाती हैं।
  • चोट जागरूकता: योग इंसान के मस्तिष्क और शरीर को जागरूक रखता है। योग करने वाले लोग अपने शरीर पर पूरा ध्यान देना सीखते हैं, जो उन्हें संकट या तनाव को शुरुआती संकेतों से ही पहचानने में मदद कर सकते हैं। इसे वे अपने प्रशिक्षण में समायोजित करके अति इस्तेमाल की चोटों से बच सकते हैं।
  • श्वास तकनीक: नियंत्रित सांस योग का एक मूलभूत पहलू है। सांस लेने का उचित तरीका एथलीट्स को तनाव और चिंता से निपटने में मददगार साबित हो सकता है, साथ ही उनका प्रदर्शन सुधार सकता है। यह दर्द को मैनेज करने में भी उपयोगी हो सकता है।
  • तनाव में कमी: योग के प्रमुख लाभों में तनाव कम करना भी शामिल है। तनाव अगर बहुत ज्यादा हो तो मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है और इससे चोट का खतरा बढ़ जाता है। योग की विश्राम तकनीक एथलीटों को शांत व केंद्रित रहने में मददगात होती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाती है।
  • आसन में सुधार: योग में उचित अलाइनमेंट और मुद्रा पर जोर दिया जाता है। बेहतर मुद्रा से अति प्रयोग की चोटों का जोखिम कम हो सकता है, खासकर ऐसे खेलों में जिनमें बार बार एक ही तरह के मूवमेंट करने होते हैं।
  • क्रॉस ट्रेनिंग: योग एक्सरसाइज और ट्रेनिंग के अन्य तरीकों के साथ भी किया जा सकता है। यह उच्च तीव्रता वाले वर्कआउट का कम प्रभाव वाला विकल्प प्रदान करता है। इसे प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल करके ओवरट्रेनिंग का जोखिम कम किया जा सकता है। 
  • मन-शरीर संबंध: योग मजबूत मन और शरीर के संबंध को बढ़ावा देता है। मजबूत शरीर वाले एथलीट्स के अंदर खेल के दौरान सुरक्षित निर्णय लेने की अधिक संभावना होती है, जो उन्हें चोटों से बचाए रखने में मददगार होती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि योग के अनेक फायदे हैं, लेकिन इसे खेल के दौरान चोट लगने से रोकने या चोट से उबरने का इकलौता समाधान नहीं माना जाना चाहिए। योग प्रशिक्षण और पुनर्वास की अन्य तकनीकों के साथ अच्छे नतीजे दे सकता है। चोटों से बचाव के लिए योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के इच्छुक एथलीटों और लोगों को योग्य प्रशिक्षक से परामर्श लेना चाहिए। यदि वे घायल हैं तो अच्छे हेल्थकेयर पेशेवर से चर्चा करके सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि योग के आसन जो वे करना चाहते हैं, उनके लिए सुरक्षित हैं और उनकी विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप हैं।

योग थेरपी योग की एक विशेष शाखा है। इसमें खेल से संबंधित चोटों सहित विभिन्न शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए योगासनों का चिकित्सीय इस्तेमाल किया जाता है। योग थेरपी चोट के बाद तेजी से रिकवरी, दर्द कम करने और एथलीटों के समग्र कल्याण में प्रभावी हो सकती है। स्पोर्ट्स रीहैबिलिटेशन में योग थेरपी का उपयोग कैसे किया जा सकता है, यहां जानें:

  1. व्यक्तिगत इस्तेमाल: योग थेरपी में रीहैबिलिटेशन के लिए बेहद व्यक्तिगत दृष्टिकोण अपनाया जाता है। एक प्रमाणित योग चिकित्सक एथलीट की विशिष्ट आवश्यकताओं, चोटों और सीमाओं का आकलन करने के बाद समस्याओं के समाधान के लिए प्लान तैयार करता है।
  2. दर्द प्रबंधन: कई बार खेल की चोटों में दर्द और परेशानी ज्यादा होती है। दर्द को मैनेज करने के लिए योग थेरपी में आसान आसन, श्वास तकनीक और ध्यान को शामिल किया जा सकता है। यह दवाओं पर निर्भरता कम कर सकता है और तेजी से रिकवरी में मददगार हो सकता है।
  3. तेज गतिशीलता: योग थेरपी से एथलीटों को चोटों के बाद गति हासिल करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए ऐसे विशिष्ट आसन और स्ट्रेच करवाए जा सकते हैं जो संबंधित अंगों पर काम करते हैं और लचीलेपन व गतिशीलता को बढ़ाते हैं।
  4. मजबूत मांसपेशियां: योग चिकित्सा में खास मांसपेशियों को लक्षित करके आसन कराए जाते हैं, जिससे चोट के दौरान खोई हुई ताकत फिर से हासिल करने में मदद मिलती है। यह मांसपेशियों के विकास को संतुलित करने और उनका असंतुलन रोकने का अच्छा तरीका भी हो सकता है।
  5. चोटों के निशान: गंभीर चोट या सर्जरी के बाद शरीर पर बने निशान टिश्यू को प्रभावित कर सकते हैं और इससे रिकवरी और गतिशीलता में बाधा आ सकती है। योग थेरपी से क्षतिग्रस्त ऊतकों को मैनेज करने और उनकी चोट कम करने के उपाय किए जा सकते हैं।
  6. संतुलन: योग थेरपी के कई उपाय संतुलन बनाने और प्रोप्रियोसेप्शन बढ़ाने में मददगार होते हैं, जो कि चोट की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। बेहतर संतुलन और प्रोप्रियोसेप्शन भविष्य में चोटों का जोखिम कम कर सकता है, खासकर ऐसे खेलों में जिनमें लचीलेपन और समन्वय की जरूरत ज्यादा होती है।
  7. मन-शरीर चिकित्सा: योग चिकित्सा माइंड और बॉडी के संतुलन पर जोर देती है। यह एथलीटों में अपने शरीर के प्रति जागरूकता बढ़ाने, तनाव या असंतुलन पहचानने और उन्हें ठीक करने के लिए रणनीति बनाने में मदद करता है। 
  8. प्राणायाम : योग थेरपी में नियंत्रित श्वास तकनीकें भी शामिल होती हैं। सांस के उचित प्रबंधन से एथलीटों को तनाव घटाने, चिंता कम करने और फेफड़ों की क्षमता सुधारने में मदद मिलती है, जो समग्र स्वास्थ्य और प्रदर्शन के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  9. रीहैबिलिटेशन: योग चिकित्सा में शरीर की सही मुद्रा और सही अलाइनमेंट बनाए रखने पर जोर दिया जाता है, जो चोट से उबरने के लिए आवश्यक होता है। शरीर के उचित अलाइनमेंट से घायल अंगों पर तनाव कम करके जल्दी इलाज को बढ़ावा दिया जाता है।
  10. धीरे-धीरे सुधार: योग थेरपी कार्यक्रम चोट के बाद धीरे-धीरे सुधार के हिसाब से डिज़ाइन किए जाते हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि एथलीट रीहैबिलिटेशन प्रक्रिया के दौरान अपने ऊपर ज्यादा जोर डालकर फिर से घायल न कर ले। 
  11. मनोवैज्ञानिक सपोर्ट: एथलीटों के ऊपर चोटों का मनोवैज्ञानिक असर हो सकता है। ऐसे में योग थेरपी माइंडफुलनेस और विश्राम तकनीकों से भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर सकती है। इससे एथलीटों को पुनर्वास के तनाव और भावनात्मक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है।

योग का पूरा फायदा उठाने के लिए एथलीटों को ऐसे योग्य व अनुभवी योग पेशेवर की मदद लेनी चाहिए जो स्पोर्ट्स इंजरी और रीहैबिलिटेशन का जानकार हो और एथलीट के हिसाब से सुरक्षित व प्रभावी प्लान बना सके। इसके अलावा एथलीट्स को अपने फिजिकल थेरपिस्ट और स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट्स जैसे हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स से भी परामर्श कर लेना चाहिए ताकि सुनिश्चित हो सके कि योग थेरपी उनके ओवरऑल रीहैबिलिटेशन प्लान में शामिल होकर विशिष्ट जरूरतों को पूरी कर सके।

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