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शेखर नरसिम्हन ने क्यों कहा- हमे भारतीय-अमेरिकी मतदान पर काम करने की जरूरत!

नरसिम्हन ने अबू धाबी में इंडियास्पोरा समिट फोरम फॉर गुड (IFG) 2025 के मौके पर न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक बातचीत में कहा कि हमने 2016 से 2020 तक अपनी मतदाता भागीदारी में नाटकीय रूप से वृद्धि की है, लेकिन ऐसा लगता है कि 2024 में इसमें गिरावट आई है।

AAPI विक्ट्री फंड के अध्यक्ष और संस्थापक शेखर नरसिम्हन / New India Abroad

AAPI विक्ट्री फंड के अध्यक्ष और संस्थापक शेखर नरसिम्हन ने भारतीय-अमेरिकियों के बीच मतदान प्रतिशत में गिरावट पर चिंता व्यक्त की है। नरसिम्हन ने अबू धाबी में इंडियास्पोरा समिट फोरम फॉर गुड (IFG) 2025 के मौके पर न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक बातचीत में कहा कि हमने 2016 से 2020 तक अपनी मतदाता भागीदारी में नाटकीय रूप से वृद्धि की है, लेकिन ऐसा लगता है कि 2024 में इसमें गिरावट आई है।

अधिक सहभागिता की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी फलता-फूलता है जब लोग इसमें भागीदारी करते हैं। इसलिए हमारे समुदाय की कमतर हिस्सेदारी एक बुरा संकेत है। इसे ठीक करना होगा।

नरसिम्हन ने कहा कि पिछले चुनावी चक्रों में महत्वपूर्ण प्रयासों के बावजूद हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि मतदाताओं की उदासीनता बढ़ रही है। बहुत सारे नए लोग नागरिक बन गए हैं। तो शायद हमारी सबसे बड़ी गलती उनके पास जाकर बात न करना, उन तक न पहुंचना और यह न कहना था कि यह इतना महत्वपूर्ण है। आप पर अपने बच्चों को भाग लेने का दायित्व है। अगले दो से चार वर्षों में आगामी चुनावों के साथ उन्होंने इस प्रवृत्ति को उलटने की तात्कालिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास करने के लिए काम है। कोई सवाल ही नहीं। यही वह सबक है जो मैंने सीखा।

चुनावी भागीदारी से परे नरसिम्हन ने वैश्विक चर्चा को आकार देने में भारतीय प्रवासियों की व्यापक भूमिका पर भी बात की। अबू धाबी में इंडियास्पोरा फोरम फॉर गुड में अपने अनुभव को उन्होंने इसे 'अद्भुत' और वैश्विक भारतीय पहचान की शक्ति का एक प्रमाण बताया। दुनिया भर में भारतीय मूल के पेशेवरों और उद्यमियों के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है मंच उसी क्षण आया है जब लोग आए।

उन्होंने 'ग्लोबल इंडियन' शब्द को मूर्त रूप देने वाले व्यक्तियों के साथ मुलाकात का जिक्र करते हुए प्रवासी भारतीयों के भीतर पृष्ठभूमि की विविधता की ओर इशारा किया। कहा कि एक सज्जन जो मूल रूप से कीनिया में पैदा हुए थे, ब्रिटेन में रहते हैं, दक्षिणी कैलिफोर्निया में पढ़े हैं और संयुक्त अरब अमीरात में काम करते हैं। बहुत ऊंचे पदों पर ग्लोबल इंडियन बैठे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यह परस्पर जुड़ा नेटवर्क एक ताकत है जिसका अधिक प्रभाव के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।

नरसिम्हन के अनुसार वैश्विक भारतीय प्रवासी दो प्रमुख क्षेत्रों में योगदान दे सकते हैं: आवास और लोकतंत्र। उन्होंने कहा कि मेरे फोकस के दो क्षेत्र वास्तव में आवास और आश्रय दृढ़ता से रहे हैं। हम दुनिया भर में आश्रय की उम्मीद और प्राप्ति में सुधार तथा लोकतंत्र में कैसे योगदान दे सकते हैं यह देखने की जरूरत है।

उन्होंने ऐसे संस्थानों के निर्माण पर जोर दिया जो नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं और स्थायी प्रभाव पैदा करते हैं। उन्होंने वैश्विक स्तर पर इसकी वकालत करने से पहले अमेरिका में लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने की वकालत करते हुए चेतावनी दी- अगर अमेरिका विफल हो जाता है, तो बाकी दुनिया भी विफल हो जाएगी।

भारतीय प्रवासी संगठनों के विकास पर विचार करते हुए नरसिम्हन ने पीढ़ियों और राष्ट्रीयताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए इंडियास्पोरा को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि आप लोगों को एक साथ लाते हैं। उनका सामान्य उद्देश्य या एक उद्देश्य होना जरूरी नहीं है, लेकिन आप उन्हें सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। और उस सचेत सहयोग से आप जादू पैदा कर सकते हैं।

जैसे-जैसे भारतीय अमेरिकी अपने बढ़ते राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को आगे बढ़ा रहे हैं उसे देखते हुए नरसिम्हन ने निरंतर जुड़ाव के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह एक पक्ष के खिलाफ या दूसरे पक्ष में बहस करने के बारे में नहीं है। यह हमारे और हमारी संस्थाओं के निर्माण के बारे में है।

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