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गरबा को मिली यूनेस्को पहचान तो टाइम्स स्क्वायर पर मच गई धूम

गरबा को संयुक्त अरब अमीरात (दुबई), यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और कई अन्य देशों में भारतीय प्रवासियों के बीच खासा पसंद किया जाता है।

demo Photo by Andreas M / Unsplash /

गरबा को कुछ ही दिन पहले मिली यूनेस्को पहचान का जश्न टाइम्स स्क्वायर पर उल्लास के साथ मनाया गया। FIA:NY-NJ-CT-NE ने अनेक सामुदायिक संगठनों और भारत के महावाणिज्य दूतावास NY के समर्थन से टाइम्स स्क्वायर पर एक स्मारक गरबा उत्सव आयोजित किया।

yellow red and blue star print umbrella

demo Photo by Sonika Agarwal / Unsplash

यह आयोजन गरबा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में शामिल करने पर किया गया था जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी शामिल हुए और अपनी परंपरा का उत्सव मनाया।

गरबा को समूह नृत्य के सबसे पुराने रूपों में से एक माना जाता है। यह लगातार 9 रातों (नवरात्रि) तक चलने वाला सबसे लंबा नृत्य उत्सव है जो गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित भारत के प्रमुख राज्यों में एक बहुत लोकप्रिय समूह लोक नृत्य के रूप में मनाया जाता है। भारत में हर साल इसकी धूम रहती है जो अब सात समंदर पार तक जा पहुंची है।

गौरतलब है कि गरबा को संयुक्त अरब अमीरात (दुबई), यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और कई अन्य देशों में भारतीय प्रवासियों के बीच खासा पसंद किया जाता है। गरबा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में शामिल करने की घोषणा 6 दिसंबर 2023 को कसाने, बोत्सवाना में यूनेस्को के 18वें सत्र के दौरान की गई थी।

टाइम्स स्क्वायर पर गरबा का जश्न मनाने के लिए फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन एनवाई-एनजे-सीटी-एनई (FIA) ने पूरे भारतीय-अमेरिकी समुदाय को खुला निमंत्रण दिया था। इस आमंत्रण का भारत के NY महावाणिज्य दूतावास द्वारा समर्थन किया गया था। यह कार्यक्रम गुजरात की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक शानदार प्रदर्शन था क्योंकि उपस्थित लोगों ने पारंपरिक गरबा पोशाक पहनी थी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन एनवाई-एनजे-सीटी-एनई के अलावा यह आयोजन भारत के महावाणिज्य दूतावास, न्यूयॉर्क, GANA, BJANA, सिद्धिविनायक मंदिर यूएसए, टाइम्स ग्रुप, आज तक, द इंडियन पैनोरमा, ईबीसी रेडियो, द साउथ एशियन टाइम्स, एयूएम डांस एकेडमी, पारिख वर्ल्डवाइड मीडिया, टीवी एशिया, आईटीवी गोल्ड, वर्ल्ड बीबी टीवी, न्यू इंडिया अब्रॉड, द इंडियन आई, रेडियो जिंदगी और रेडियो दिल जैसे संस्थानों की भागीदारी और प्रयासों से संभव हुआ।

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