भारत के मध्यप्रदेश राज्य के नवजात शिशुओं को कुषोषण से मुक्ति दिलाने के लिए व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने आईआईटी बॉम्बे एचएसटी और आरआईएसटी के साथ साझेदारी की घोषणा की है। अभियान की घोषणा भारत के महावाणिज्य दूतावास, न्यूयॉर्क में की गई जिसके असर के दायरे में मध्य प्रदेश में करीब 1 करोड़ शिशु और माताएं होंगे।
नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार भारत में 36% बच्चे अविकसित हैं, 32% कम वजन वाले हैं और 21% कमजोर हैं। यह सब तब है जब 64% महिलाएं अपने बच्चों को केवल स्तनपान कराती हैं। इस चिंताजनक आंकड़े का कारण यह है कि कई कारणों के चलते महिलाएं बच्चों को स्तनपाल कराना छोड़ देती हैं। ऐसे में बच्चे दूध के लिए रोते रहते हैं या फिर बाहरी आहार की कमी झेलते हैं। हालांकि यह संकट दूर किया जा सकता है और उन 86% कुपोषित बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने का अवसर मिल सकता है।
व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन वैश्विक आईआईटी पूर्व छात्र समुदाय का एक सामाजिक प्रभाव मंच है। इसकी नवजात पोषण स्वास्थ्य पहल बड़े पैमाने पर नवजात कुपोषण को कम करने के लिए आईआईटी बॉम्बे की हेल्थ स्पोकन ट्यूटोरियल्स (एचएसटी) टीम के अग्रणी काम को आगे बढ़ा रही है। वाशिंगटन डीसी स्थित आरआईएसटी (रूरल इंडिया सपोर्टिंग ट्रस्ट) एक बड़े अनुदान के साथ भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक मध्य प्रदेश में इस पहल के विस्तार में सहायता कर रहा है ताकि 1 करोड़ माताओं और शिशुओं के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा सके।
गौरतलब है कि भारत के तीन राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़) के कई जिलों में आश्चर्यजनक परिणामों के बाद (जहां शिशुओं का वजन पहले छह महीनों में पांच गुना अधिक बढ़ गया और सभी डब्ल्यूएचओ मानकों को पार कर गया) एचएसटी टीम अपनी क्यूडवेल प्रौद्योगिकी-सक्षम मॉडल से हजारों स्वास्थ्य और आईसीडीएस कार्यकर्ताओं को सक्षम करेगा ताकि माताओं को उचित स्तनपान और पोषण सेवन के तरीके सिखाए जा सकें।
इस अभियान को लेकर भारत के महावाणिज्य दूत, न्यूयॉर्क विनय प्रधान ने कहा कि हालांकि भारत सरकार और राज्य सरकारें अपना काम कर रही हैं लेकिन हमारी विशाल आबादी के कारण एक अंतर बना हुआ है और कुछ मामलों में प्रौद्योगिकी पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया है। मैं वास्तव में खुश हूं कि भारत का महावाणिज्य दूतावास व्हील्स के साथ इस चुनौती से निपटने के लिए साझेदारी कर सका।
व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन के अध्यक्ष रतन अग्रवाल ने कहा कि 1.4 अरब आबादी वाले भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में चुनौतियों की जटिलता और परिमाण को समझना कठिन है। हालांकि इस तरह की पहल प्रौद्योगिकी, नवाचार, प्रभाव पारिस्थितिकी तंत्र और सार्वजनिक-निजी भागीदारी की शक्ति के माध्यम से समान पैमाने पर आशावाद लाती है।
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