अमेरिका में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने आयोवा में सीएनएन टाउन हॉल बहस के दौरान अपने धर्म, आव्रजन, सीमा सुरक्षा और आर्थिक असमानता पर तमाम तरह के सवालों के जवाब दिए।
इस दौरान एक शख्स ने रामास्वामी से पूछा कि एक हिंदू राष्ट्रपति अमेरिका को कैसे चला सकता है। मिचेल ने कहा- कई लोग ऐसा मानते हैं कि आप अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन सकते क्योंकि आप उस धर्म को नहीं मानते जिसपर हमारे पूर्वजों ने अमेरिका की स्थापना की थी। रामास्वामी ने कहा कि वह इससे सम्मानपूर्वक असहमत हैं। विवेक रामास्वामी ने कहा कि उनके हिंदू धर्म के कुछ सिद्धांत यहूदी-ईसाई मूल्यों जैसे हैं। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिहाज से सबसे अच्छा राष्ट्रपति नहीं हो सकता। अमेरिकी राष्ट्रपति का ये काम नहीं होता है।
A voter tonight in Iowa asked about my Hindu faith. I answered honestly. pic.twitter.com/hkUrZkbhUx
— Vivek Ramaswamy (@VivekGRamaswamy) December 14, 2023
रामास्वामी ने कहा कि मैं उन मूल्यों का जरूर पालन करूंगा, जिनपर अमेरिका की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस देश में विश्वास और देशभक्ति, परिवार एवं कड़ी मेहनत करना मेरी जिम्मेदारी है। मुझे लगता है कि आपके अगले राष्ट्रपति के रूप में यह मेरा काम है।
उनके जवाब को सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिली हैं, कुछ ने उनका समर्थन किया है जबकि अन्य आलोचना कर रहे हैं। रामास्वामी ने कहा कि हम यह नहीं चुनते हैं कि परमेश्वर किसके माध्यम से काम करता है। परमेश्वर चुनता है कि वह किसके माध्यम से काम करना चाहता है। इसलिए हम पुराने नियम पर पहुंचते हैं, थोड़ा आगे, हम यशायाह की पुस्तक पर पहुंचते हैं।
मुझे नहीं पता कि आप में से कई लोग इससे परिचित हैं या नहीं। परमेश्वर ने फारस में एक गैर-यहूदी साइरस को चुना, जो यहूदी लोगों को वादा किए गए देश में वापस ले जा रहा था। इसलिए मुझे विश्वास है कि भगवान ने हमें एक उद्देश्य के लिए यहां रखा है।
मेरा विश्वास ही मुझे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की इस यात्रा पर ले जाता है। रामास्वामी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनका अपनी हिंदू आस्थाओं में गहरा विश्वास है और ये भी बताया कि कैसे उनके पालन पोषण के दौरान उनका ईसाई धर्म से जुड़ाव बना रहा।
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