अमेरिकी सांसद डेविड जी. वलदाओ सिख अमेरिकन कांग्रेसी कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1984 में हुए सिख नरसंहार को औपचारिक रूप से मान्यता देने और याद करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है। सिख नरसंहार का संदर्भ भारत में सिखों के खिलाफ राज्य-प्रायोजित हिंसा से है। यह 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई थी। इसमें विशेष रूप से दिल्ली में हजारों सिख मारे गए थे। यह भारत के इतिहास का एक अंधेरा अध्याय है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में बड़ी तादाद में सिख आबादी है। समुदाय के लोग 1984 में घटी दुखद घटनाओं के लिए न्याय की मांग बहुत समय से करते आ रहे हैं।
कांग्रेसी वलदाओ ने एक बयान में कहा, 'दुखद रूप से इतिहास में कई सिख अपने धार्मिक विश्वासों के कारण नुकसान का शिकार हुए हैं, इनमें 1984 का नरसंहार भी शामिल है। सेंट्रल वैली में एक जीवंत सिख समुदाय है। मैं उनके साथ खड़े होकर इस भयानक घटना को मान्यता देने और इसके लिए जिम्मेदारी तलाशने की मांग करता हूं।'
यह प्रस्ताव कांग्रेस के कई सदस्यों के समर्थन से पेश किया गया है। इनमें प्रतिनिध जोश हार्डर, विंस फोंग और जॉन ड्यूअर्टे शामिल हैं। कांग्रेसी जिम कोस्टा ने स्थानीय समुदाय के लिए इस प्रस्ताव के महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'जब हम सिख नरसंहार की 40वीं वर्षगांठ मनाते हैं, हम इतिहास के एक अंधेरे अध्याय को याद करते हैं। यह प्रस्ताव एक प्रतीक से अधिक है, यह हमारे सिख समुदाय द्वारा अनुभव किए गए दर्द की मान्यता है।'
इस प्रस्ताव को बड़े सिख संगठनों से समर्थन हासिल है। इनमें अमेरिकन गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (AGPC), सिख कोएलिशन और यूनाइटेड सिख शामिल हैं। AGPC के कार्यकारी अध्यक्ष गुदेव सिंह ने कहा, 'यह प्रस्ताव न्याय और सत्य की हमारी मांग की दिशा में एक महत्वपूर्ण पल है। हम कांग्रेसी वलदाओ का उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद करते हैं।'
यह प्रस्ताव 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद घटी दुखद घटनाओं को मान्यता देता है, जिसमें सिखों के खिलाफ व्यापक हिंसा शामिल थी। यह सिख नरसंहार को लेकर अमेरिका में पहला फेडरल प्रस्ताव है।
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