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फिलीपींस और जापान के राष्ट्र प्रमुखों के साथ बाइडन की शिखर वार्ता इन मायनों में अहम है

इस शिखर वार्ता में समावेशी आर्थिक विकास, उभरती प्रौद्योगिकियों और भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति व सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही इसका उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका, फिलीपींस और जापान के बीच आपसी गठजोड़ और संबंधों को मजबूत करना है।

11 अप्रैल को होने वाला शिखर सम्मेलन तीनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। / Pexels

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन फिलीपींस और जापान के साथ त्रिपक्षीय शिखर वार्ता करने जा रहे हैं। बाइडन व्हाइट हाउस में फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो की मेजबानी करेंगे। 11 अप्रैल को होने वाला शिखर सम्मेलन तीनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण राजनयिक मील का पत्थर साबित होगा। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है।

बयान में कहा गया है कि यह त्रिपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो गहरे ऐतिहासिक संबंधों, मजबूत आर्थिक संबंधों और लोकतांत्रिक मूल्यों और एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए साझा प्रतिबद्धता में निहित है। इस शिखर वार्ता में समावेशी आर्थिक विकास, उभरती प्रौद्योगिकियों और भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति व सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही इसका उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका, फिलीपींस और जापान के बीच आपसी गठजोड़ और संबंधों को मजबूत करना है।

बयान में कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, उभरती प्रौद्योगिकियों का दोहन, क्लीन एनर्जी, सप्लाई चेन को बढ़ावा देने और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा पर केंद्रित होगी।

राष्ट्रपति बाइडन अमेरिका-फिलीपींस संबंधों को गति देने के लिए उसी दिन राष्ट्रपति मार्कोस के साथ एक अलग बैठक करेंगे। एजेंडा में आर्थिक सुरक्षा, क्लीन एनर्जी इनिशिएटिव, लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान, मानवाधिकारों और लोकतंत्र को बढ़ावा देने सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के प्रयासों को शामिल किया जाएगा। इस बैठक के दौरान राष्ट्रपति बाइडन अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने, एक स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेंगे।

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