दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर वॉशिंगटन की टिप्पणियों के जवाब में भारत ने एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया है। इस बीच अमेरिका ने निष्पक्ष और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया को लेकर अपना रुख दोहराया है। इसी कारण भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजनयिक को बुलाकर अपनी आपत्तियां सख्ती के साथ रेखांकित कीं।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने केजरीवाल की गिरफ्तारी और कांग्रेस के बैंक खातों को जब्त करने के संबंध में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी कार्यवाही के महत्व पर जोर दिया। हालांकि मिलर ने राजनयिक चर्चा की गोपनीयता का हवाला देते हुए भारत द्वारा अमेरिकी राजनयिक को बुलाने पर टिप्पणी करने से परहेज किया।
मिलर ने कहा कि हम भारत में कांग्रेस पार्टी के इस आरोप से भी वाकिफ हैं कि कर प्राधिकरण ने उसके कुछ बैंक खाते इस तरह से फ्रीज कर दिये हैं कि आगामी चुनाव अभियान के लिए प्रचार करना भारी पड़ रहा है। ऐसे में हम चाहते हैं कि हरेक मामले को लेकर निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। जहां तक राजनयिक को तलब करने का सवाल है तो उस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन हमे भारत के तमाम घटनाक्रम को लेकर अपनी जो बात कहनी है वह हम सार्वजनिक रूप से स्पष्ट कर चुके है।
उधर, भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की 'बारीकी से निगरानी' वाली टिप्पणियों के खिलाफ भारत के कड़े विरोध को व्यक्त करने के लिए मिशन की कार्यवाहक उपप्रमुख ग्लोरिया बर्बेना के साथ बैठक की। यह बैठक आधा घंटे से अधिक चली जिसमें विशेष रूप से साथी लोकतंत्रों के बीच संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने पर भारत के रुख को रेखांकित किया गया।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में जर्मनी की टिप्पणी के बाद अमेरिका ने भी निष्पक्ष कानूनी कार्यवाही की बात कहकर भारत को भड़का दिया था। भारत ने इन टिप्पणियों को स्पष्ट रूप से आंतरिक मामलों में दखलंदाजी मानते हुए अपना विरोध जता दिया है।
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