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पेटेंट अधिकारों के संरक्षण में भारत फेल? अमेरिका ने भारत को प्रायोरिटी वॉच लिस्ट में डाला

भारत ने वैसे तो बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए प्रयास किए हैं, इसके बावजूद रिपोर्ट कहती है कि आईपी संरक्षण और उसे लागू करने के मामले में भारत सबसे चुनौतीपूर्ण प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।

स्पेशल 301 रिपोर्ट में भारत को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। /

अमेरिकी सरकार ने भारत को बौद्धिक संपदा (Intellectual Property - आईपी) अधिकारों की प्राथमिकता निगरानी सूची में डाल दिया है। ऐसा भारत में  बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण और इन्हें लागू करने में चुनौतियों का हवाला देते हुए किया गया है। 

इसकी घोषणा गुरुवार को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) द्वारा जारी स्पेशल 301 रिपोर्ट 2024 के तहत की गई। प्राथमिकता निगरानी सूची में भारत के अलावा अर्जेंटीना, चिली, चीन, इंडोनेशिया, रूस और वेनेजुएला भी हैं। इन देशों को अगले दो साल में आईपी अधिकारों को लेकर जताई गई चिंताओं को दूर करने का अवसर दिया जाएगा। 

https://ustr.gov/about-us/policy-offices/press-office/press-releases/2024/april/ustr-releases-2024-special-301-report-intellectual-property-protection-and-enforcement

स्पेशल 301 रिपोर्ट के तहत अमेरिका के व्यापारिक सहयोगियों द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण और इन्हें लागू करने की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाता है। इस साल डोमिनिकन गणराज्य को वॉच लिस्ट से हटा दिया गया है।

यूएसटीआर की रिपोर्ट में हालांकि यूएस-इंडिया ट्रेड पॉलिसी फोरम जैसी पहलों से कुछ क्षेत्रों में हुई प्रगति को स्वीकार किया गया है, लेकिन लगातार बनी हुई चुनौतियों को भी रेखांकित किया गया है। इनमें आईपी अधिकारों को पर्याप्त रूप से लागू न करना, ऑनलाइन चोरी, ट्रेडमार्क बैकलॉग और ट्रेड सीक्रेट्स को सुरक्षित रखने के अपर्याप्त उपाय जैसे कारण गिनाए गए हैं।

अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने आईपी अधिकारों के उल्लंघन की समस्या के समाधान के लिए मिल जुलकर प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने खासतौर से स्वास्थ्य एवं अन्य तरह की नकली वस्तुओं से पैदा जोखिम की तरफ इशारा किया। ताई ने ट्रिप्स दायित्वों का भी उल्लेख किया।

रिपोर्ट में भारत में पेटेंट से संबंधित चिंताओं का जिक्र किया गया है, जिनमें पेटेंट खत्म करना, पेटेंट प्रदान करने के लिए लंबे समय तक इंतजार और भारतीय पेटेंट अधिनियम की व्याख्या में अस्पष्टता जैसे पहलू भी शामिल है। इसके अलावा गहन आईपी अधिकार संबंधी उत्पादों पर उच्च सीमा शुल्क विवाद की वजह से सूचना प्रौद्योगिकी, सौर ऊर्जा, चिकित्सा उपकरण, फार्मा और पूंजीगत वस्तुओं आदि पर पड़ रहे असर के बारे में भी बताया गया है।  

भारत ने वैसे तो आईपी अधिकारों को मजबूती देने और इससे जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए अमेरिका से बातचीत की है, लेकिन इसके बावजूद रिपोर्ट कहती है कि आईपी संरक्षण और उसे लागू करने के मामले में भारत सबसे चुनौतीपूर्ण प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।


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