अमेरिका स्थित भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (IAMC) ने कहा कि भारत 'विशेष चिंता वाले देश (CPC) के रूप में अधिक उपयुक्त है'। संगठन ने अमेरिकी विदेश विभाग की 2023 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (IRF) रिपोर्ट का भी स्वागत किया है। इस रिपोर्ट में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न को उजागर किया गया है। हालांकि इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए भारत का कहना है कि यह ‘गलत सूचना और त्रुटिपूर्ण समझ’ पर आधारित है।
IAMC का कहना है कि एक बार फिर अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट से साफ है कि भारत CPC के रूप में योग्यता रखता है। IAMC के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने 26 जून को एक बयान में कहा कि अब समय आ गया है कि विदेश मंत्री ब्लिंकन इन तथ्यों के साथ ही USCIRF द्वारा वर्षों से पेश किए गए तथ्यों पर कार्रवाई करें और भारत को CPC घोषित करें। 26 जून को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने IRF रिपोर्ट जारी की और कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समूहों के लोगों के लिए घृणास्पद भाषण, धर्मांतरण विरोधी कानूनों, घरों और पूजा स्थलों को तोड़ने में 'चिंताजनक वृद्धि' हुई है।
स्वाभाविक है अमेरिका की यह अलोचना भारत को अच्छी नहीं लगी। 28 जून को भारत ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए उसे 'गहरे पक्षपाती' और दक्षिण एशियाई देश के सामाजिक ताने-बाने को समझने में असमर्थ बताया। भारत सरकार ने आगे कहा कि रिपोर्ट देश की न्यायपालिका द्वारा लिए गए कुछ फैसलों की अखंडता को चुनौती देती है और घटनाओं को एक पूर्व-कल्पित कहानी बनाने के लिए चुना गया है। हालांकि, IAMC के अनुसार, रिपोर्ट में कथित तौर पर वर्तमान शासनकाल के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों का एक बड़ा हिस्सा शामिल है।
IAMC ने एक बयान में कहा है कि रिपोर्ट में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, घृणास्पद भाषण और झूठी जानकारी, भेदभावपूर्ण नीतियां और कानून जैसे समान नागरिक संहिता (UCC) और धर्मांतरण विरोधी कानून, भीड़ हिंसा और अल्पसंख्यक घरों, दुकानों और पूजा स्थलों पर हमले शामिल हैं। IAMC ने कहा, इसके अलावा, रिपोर्ट में मणिपुर राज्य में कथित जातीय और धार्मिक हिंसा की जांच की गई है। IAMC ने अब भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह इन चिंताओं को दूर करने और अपने सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए तत्काल कदम उठाए।
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