अमेरिका में अप्रवासी समुदाय को राहत देने वाली एक खबर आई है। अमेरिकी सरकार नस्ल और जातीयता के आधार पर लोगों को वर्गीकृत (categorize) करने से जुड़े कानून में संशोधन करने जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि इस संशोधन के बाद अप्रवासी आबादी का ज्यादा सटीक तरीके से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा। 1997 के बाद पहली बार इस तरह के संशोधन किए जा रहे हैं।
ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट (ओएमबी) ने 28 मार्च को इन संशोधनों की घोषणा की। इनके अनुसार, ऑफिस अब अपने फॉर्म में नस्ल और जातीयता को लेकर पूछे जाने वाले प्रश्नों को एकसाथ जोड़ेगा, जो अब तक अलग-अलग पूछे जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कई अप्रवासी प्रश्नों के बीच भ्रम की वजह से या तो उनका उत्तर नहीं देते थे या फिर गलत जानकारी दे देते हैं।
इसके अलावा एक अन्य संशोधन में अब नस्ल एवं जातीयता से जुड़े प्रश्नों के उपलब्ध विकल्पों में एक नई श्रेणी - मध्य पूर्वी एवं उत्तरी अफ्रीकी जोड़ी जाएगी। अभी तक अमेरिकी भारतीय या अलास्का के मूल निवासी, एशियाई, अश्वेत या अफ्रीकी अमेरिकी, हिस्पैनिक या लैटिनी, हवाई या प्रशांत द्वीप समूह के निवासी और श्वेत श्रेणी के ही विकल्प दिए जाते हैं।
इन प्रस्तावित संशोधनों का स्वागत करते हुए AAPI डेटा के संस्थापक एवं एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर कार्तिक रामकृष्णन ने कहा है कि इन संशोधनों का लंबे समय से इंतजार था। हमें खुशी है कि संघीय सरकार ने हमारे समुदाय की विविधता, एकता और जरूरतों को मान्यता देते हुए ये आवश्यक कदम उठाने का फैसला किया है। ये घोषणाएं डेटा इक्विटी के आंदोलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका एशियाई अमेरिकी, हवाई व प्रशांत द्वीप समूह के मूल निवासी समुदायों को विशेष फायदा होगा।
एएपीआई डेटा के नीति निदेशक अकील वोहरा ने कहा कि इससे हमारे समुदायों का और सटीक डेटा हासिल करने में मदद मिलेगी, जिससे संबंधित क्षेत्रों में मजबूत नीतियों, कार्यक्रमों और निवेश कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई जा सकेगी। यह सामूहिक प्रगति की नींव साबित होगी और स्वास्थ्य एवं शिक्षा से लेकर अन्य सभी क्षेत्रों में समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी।
ओएमबी ने नस्ल एवं जातीयता से संबंधित सांख्यिकीय मानकों को लेकर एक इंटर एजेंसी कमेटी का गठन करने की भी घोषणा की है। यह संशोधित आवश्यकताओं को पूरा करने में संघीय एजेंसियों की मदद करेगी और उनके काम पर नजर रखेगी।
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