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ट्रम्प के जन्मसिद्ध नागरिकता आदेश पर 'संकट के बादल', अदालत करेगी सुनवाई

यदि यह आदेश लागू होता है, तो 19 फरवरी के बाद जन्म लेने वाले बच्चों, जिनके माता-पिता अमेरिकी निवासी नहीं हैं, को अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी।

डोनाल्ड ट्रम्प / Reuters

डोनाल्ड ट्रम्प ने शपथग्रहण के साथ ही अमेरिकी नागरिकता को लेकर आदेश जारी किया था, जिसमें अमेरिकी नागरिक न होने की स्थिति में बच्चे को जन्म पर अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी। आदेश के मुताबिक, 20 फरवरी से अमेरिका में पैदा होने वाले बच्चों को मां-बाप के अमेरिकी नहीं होने पर अमेरिकी नागरिकता मिलना मुमकिन नहीं होगा। इस फैसले के खिलाफ चार डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों ने एक संघीय न्यायाधीश से आग्रह किया है कि वे अमेरिकी ट्रम्प के कार्यकारी आदेश को रोकें। अदालत इस मामले में सुनवाई करेगी।

सीटल में वरिष्ठ अमेरिकी जिला न्यायाधीश जॉन कॉगनॉर 23 जनवरी को वाशिंगटन, एरिज़ोना, इलिनोइस और ओरेगॉन के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरलों द्वारा दायर एक अस्थायी निषेधाज्ञा की मांग पर सुनवाई करेंगे। यह आदेश ट्रम्प प्रशासन को उस प्रमुख भाग को लागू करने से रोकेगा, जो उनके आव्रजन अभियान का हिस्सा है। ट्रम्प ने इस आदेश पर सोमवार को हस्ताक्षर किए थे, जिसमें यह निर्देश दिया गया कि जिन बच्चों के माता-पिता अमेरिकी नागरिक या वैध स्थायी निवासी नहीं हैं तो उन्हें अमेरिकी नागरिकता का अधिकार नहीं मिलेगा।

डेमोक्रेटिक राज्यों ने इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए पांच मुकदमे दायर किए हैं। उन्होंने तर्क दिया है कि यह आदेश अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के नागरिकता प्रावधान का उल्लंघन करता है, जो कहता है कि अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी लोग नागरिक माने जाएंगे।

14वें संशोधन का ऐतिहासिक महत्व
14वां संशोधन 1868 में नागरिक युद्ध के बाद अपनाया गया था और इसने सुप्रीम कोर्ट के कुख्यात 1857 के ड्रेड स्कॉट निर्णय को पलट दिया था, जिसमें कहा गया था कि संविधान गुलाम अश्वेत लोगों पर लागू नहीं होता। डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरलों ने तर्क दिया है कि 127 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को स्पष्ट किया था, जब उसने यह फैसला सुनाया कि गैर-नागरिक माता-पिता के अमेरिका में जन्मे बच्चे नागरिकता के हकदार हैं।

न्याय विभाग का रुख
दूसरी ओर, अमेरिकी न्याय विभाग ने तर्क दिया है कि 14वां संशोधन सभी के लिए नागरिकता की गारंटी नहीं देता और 1898 के सुप्रीम कोर्ट के यूनाइटेड स्टेट्स बनाम वॉन्ग किम आर्क के फैसले को केवल स्थायी निवासियों के बच्चों तक सीमित किया गया था। न्याय विभाग ने यह भी कहा कि राज्यों के पास इस आदेश पर मुकदमा दायर करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि नागरिकता प्रावधान के तहत केवल व्यक्ति ही दावा कर सकते हैं।

यदि यह आदेश लागू होता है, तो 19  फरवरी के बाद जन्म लेने वाले बच्चों, जिनके माता-पिता नागरिक या स्थायी निवासी नहीं हैं, उन्हें देश से निर्वासित किया जा सकता है। उन्हें सामाजिक सुरक्षा नंबर, सरकारी लाभ और भविष्य में कानूनी रूप से काम करने का अधिकार नहीं मिलेगा।

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