अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने वैश्विक सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत करने और विविधता लाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए भारत सरकार के सेमीकंडक्टर मिशन के साथ साझेदारी की घोषणा की है। यह भारत को सेमीकंडक्टर में अग्रणी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की पहल है।
यह साझेदारी 2022 के अमेरिकी चिप्स अधिनियम द्वारा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सुरक्षा और नवाचार (ITSI) फंड के तहत शुरू की गई है। साझेदारी के प्रारंभिक चरण में भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का व्यापक मूल्यांकन भी होगा, जिसमें नियामक ढांचे, बुनियादी ढांचे और कार्यबल की जरूरत शामिल होंगी।
इस विश्लेषण में राज्य सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों से लेकर अनुसंधान केंद्रों एवं निजी कंपनियों तक के प्रमुख भारतीय हितधारकों के भाग लेने की उम्मीद है। इसके नतीजे भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग को मजबूत करने और उसके विस्तार के लिए भविष्य की योजनाओं का आधार बनेंगे।
अमेरिका और भारत दोनों की वैश्विक डिजिटल परिवर्तन के साथ तालमेल बनाते हुए सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में इस नए सहयोग से ऑटोमोटिव मैन्यूफैक्चरिंग और मेडिकल उपकरण उत्पादन जैसे उन क्षेत्रों को फायदा होने की उम्मीद है जो सेमीकंडक्टरों पर काफी निर्भर हैं।
साल 2022 में राष्ट्रपति जो बाइडेन के दस्तखत से कानून बने यूएस चिप्स अधिनियम ने घरेलू सेमीकंडक्टर निर्माण और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग की व्यवस्था की है, साथ ही पांच वर्षों में ITSI फंड को 500 मिलियन डॉलर प्रदान किए हैं।
इस फंड को सुरक्षित दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने और अमेरिकी सहयोगियों व भागीदारों के बीच सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस साझेदारी से भारत की बढ़ती क्षमताओं को बढ़ाकर वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में भारत की भूमिका को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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