भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने भारत की विकास यात्रा की सराहना करते हुए कहा है कि अगर कोई अपना भविष्य देखना चाहता है तो उसे भारत आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप भविष्य को महसूस करना चाहते हैं, तो भारत आइए। अगर आप भविष्य पर काम करना चाहते हैं, तो भारत आइए। एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य मिशन के नेता के रूप में मुझे हर दिन ये सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
दिल्ली में आयोजित 'इम्पैक्ट एंड इनोवेशन: 25 इयर्स ऑफ मेकिंग डेवलपमेंट ए ग्राउंड रियलिटी' कार्यक्रम के दौरान एरिक गार्सेटी ने कहा कि हम यहां सिखाने और उपदेश देने नहीं आए हैं। हम यहां सुनने और सीखने के लिए आए हैं। जब हमें आपके साथ काम करने का सौभाग्य मिलता है, चाहे वह डिजिटल डोमेन में हो या हमारे द्वारा की जाने वाली क्लाइमेट एक्शन पर, हम जानते हैं कि हम जो काम करते हैं वह अति आवश्यक है। इसकी सफलता से इस देश और दुनिया भर में हर लड़की, महिला और हाशिए पर रहने वाले समुदाय को लाभ होना चाहिए।
वहीं, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी भारत के साथ अपने देश के संबंधों की सराहना करते हुए कहा कि साझेदारी 'नई ऊंचाइयों पर' है। अमेरिका में सुलिवन ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि ब्रिक्स में शामिल देश अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी प्रौद्योगिकी और सुरक्षा और कई अन्य आयामों के साथ नई ऊंचाइयों पर है।
गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों में भारत और अमेरिका के रिश्तों में उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। दोनों देशों के बीच संबंध हाल ही में तब सवालों के घेरे में आए जब अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित नाकाम साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था।
अमेरिका ने आरोप लगाया था कि निखिल गुप्ता एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ काम कर रहा था और न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले पन्नू को मारने के लिए एक हत्यारे को 100,000 डॉलर देने के लिए सहमत हो गया था।
भारत ने आरोपों की जांच के लिए पहले ही एक जांच समिति का गठन कर दिया है। इस महीने की शुरुआत में एरिक गार्सेटी ने पन्नू हत्या की साजिश की जांच को लेकर भारत सरकार की प्रशंसा की थी। हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि लक्ष्मण रेखा को पार नहीं किया जाना चाहिए और किसी विदेशी नागरिक की हत्या में 'कोई देश' या 'कोई सरकारी कर्मचारी' शामिल नहीं होना चाहिए।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login