अमेरिका के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा का कहना है कि अमेरिका-भारत संबंध उन लाखों लोगों के साहस और दृढ़ संकल्प में निहित हैं जिन्होंने अपने महत्वपूर्ण योगदान से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास किया है। यह बात विशेष रूप से उन्होंने भारतीय प्रवासियों की भूमिका का जिक्र करते हुए कही।
वर्मा ने भारत-अमेरिका संबंधों को 'एक साझेदारी के रूप में वर्णित किया। बकौल वर्मा इस बारे में मेरा तर्क है कि इसने पिछले दो दशकों में दुनिया में अधिक शांति और स्थिरता कायम की है। वर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय मूल के 40 लाख से अधिक अमेरिकियों का घर है और भारतीय अप्रवासी अमेरिकी नागरिकों की दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी हैं।
वर्मा ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच लोगों के बीच गहरे होते रिश्ते और भी मजबूत हो रहे हैं। पिछले साल भारतीयों को रिकॉर्ड 13 लाख वीजा जारी किए गए। उन्होंने कहा कि किसी भी वस्तुनिष्ठ पैमाने पर हमने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन हम इन सफलताओं पर ठहर नहीं कर सकते। हमें अब फिर से उस पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के लिए परिणाम देने के बारे में कहा था।
वर्मा ने कहा कि राजदूत गार्सेटी ने चार पी (P) यानी शांति, समृद्धि, ग्रह और लोगों के आसपास भारत और अमेरिका की प्रगति को उपयुक्त रूप से परिभाषित किया है। शांति और सुरक्षा पर वर्मा ने जोर दिया कि दोनों राष्ट्र एकीकृत, विश्वसनीय और आश्वस्त सुरक्षा साझेदार बन गए हैं। उन्होंने कहा कि यह रिश्ता दुनिया की सबसे उन्नत प्रणालियों के सह-उत्पादन और विकास तक आगे बढ़ गया है।
वर्मा ने रेखांकित किया भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के 'प्रमुख रक्षा भागीदार' के रूप में नामित दुनिया के एकमात्र राष्ट्र के रूप में एक अद्वितीय स्थान रखता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह विशेष दर्जा दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और संयुक्त सैन्य अभ्यास के परिष्कार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। वर्मा ने कहा कि हिंद-प्रशांत के लिए साझा दृष्टिकोण ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत किया है।
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