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अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री की भारत के साथ इन देशों की यात्रा इसलिए अहम है

अपनी यात्रा के दौरान लू चेन्नई में दक्षिण भारत में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए वाणिज्य दूतावास के कर्मियों से मुलाकात करेंगे। लू का यात्रा कार्यक्रम दक्षिण और मध्य एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता और साझेदारी में सुधार के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू 10 मई से भारत की राजकीय यात्रा पर हैं। / NIA

दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू 10 मई से भारत की राजकीय यात्रा पर हैं। लू 15 मई को समाप्त होने वाली इस यात्रा के दौरान श्रीलंका और बांग्लादेश भी जाएंगे। अमेरिकी विदेश विभाग ने 9 मई को यह जानकारी देते हुए कहा कि लू की यात्रा इन देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करेगी। एक मुक्त, खुले और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिकी समर्थन को मजबूत करेगी।

अपनी यात्रा के दौरान लू चेन्नई में दक्षिण भारत में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए वाणिज्य दूतावास के कर्मियों से मुलाकात करेंगे। लू का यात्रा कार्यक्रम दक्षिण और मध्य एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता और साझेदारी में सुधार के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

लू ने पिछली बार 12 से 15 जनवरी तक भारत और बांग्लादेश की यात्रा की थी। इस दौरान वह ऊर्जा, व्यापार, सुरक्षा सहयोग, धार्मिक स्वतंत्रता, श्रम और मानवाधिकार क्षेत्रों में सहयोग के लिए अधिकारियों के साथ बैठकों में शामिल हुए थे। फरवरी 2024 में लू ने वाशिंगटन में एक चर्चा के दौरान स्वीकार किया था कि हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित राजनयिक मामलों में अमेरिका एक 'बड़ी ताकत' था, लेकिन भारत इस क्षेत्र में एक बहुत बड़ी ताकत है।

लू ने अमेरिकी सरकार की 30 से अधिक सालों से सेवा की है। उन्होंने 2010 से 2013 तक भारत में अमेरिकी मिशन के डिप्टी चीफ के तौर पर काम किया है। वह किर्गिस्तान और अल्बानिया में राजदूत भी रह चुके हैं। डोनाल्ड लू ने भारत में 1997 से 2000 तक राजनीतिक अधिकारी के तौर पर सेवा दी हैं। वहीं, उन्होंने नई दिल्ली में अमेरिका राजदूत के विशेष सहायक के रूप में 1996-1997 में काम किया है। इसके अलावा, 1992 और 1994 में पेशावर में राजनीतिक अधिकारी के रूप में सेवाएं दी हैं। अमेरिका में एक प्रवासी के बेटे लू ने इससे पहले अमेरिकी विदेश सेवा के साथ पीस कोर में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

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