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भारतीय अध्ययन पीठ स्थापित करेगा मिलान विश्वविद्यालय, शैक्षिक संबंधों को मिलेगा बढ़ावा

इससे पहले 2021 में ICCR ने इटली में इंडोलॉजिकल अध्ययन की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को दर्शाते हुए नेपल्स के लोरिएंटल विश्वविद्यालय में हिंदी पीठ की स्थापना की थी। 

सहमति पत्र पर इटली में भारतीय राजदूत एचई वाणी राव और मिलान विश्वविद्यालय के रेक्टर एलियो फ्रांजिनी ने दस्तखत किए। / Image - University of Milan

इटली की मिलान यूनिवर्सिटी ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) और भारत सरकार के सहयोग से, भारतीय अध्ययन की अपनी पहली पीठ स्थापित करने के लिए एक एमओयू पर दस्तखत किए हैं।

इटली में भारतीय राजदूत एचई वाणी राव और मिलान विश्वविद्यालय के रेक्टर एलियो फ्रांजिनी ने इस सहमति पत्र पर दस्तखत किए। यह भारत और इटली के बीच अकादमिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

अगले साल से ICCR मिलान यूनिवर्सिटी में एक भारतीय शिक्षाविद को विजिटिंग प्रोफेसर नियुक्त करेगा। यह प्रोफेसर वहां पर हिंदी भाषा पढ़ाएंगे और संबंधित अनुसंधान गतिविधियों का सपोर्ट करेंगे जिससे छात्रों के बीच भारतीय संस्कृति एवं भाषाओं की गहरी समझ को बढ़ावा मिलेगा।

जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत और इटली के बीच साझा सांस्कृतिक मूल्यों व सभ्यतागत संबंधों के आधार पर लोगों से लोगों के बीच मजबूत संपर्क हैं। इस नई पहल से इसे और मजबूती मिलेगी।

मिलान विश्वविद्यालय पहले से ही हिंदी, संस्कृत, भारतीय कला और अन्य विषयों में कोर्स ऑफर कर रहा है, लेकिन भारतीय अध्ययन पीठ की स्थापना से भारत के बारे में ज्ञान को विस्तार दिया जा सकेगा। यह पीठ भाषा, साहित्य, संस्कृति व मध्यस्थता विभाग और साहित्यिक अध्ययन, भाषा शास्त्र व भाषा विज्ञान दोनों विभागों में होगी। 

यूनिवर्सिी के रेक्टर फ्रांजिनी ने इस सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अन्य संस्कृतियों के प्रति खुलापन संवाद के लिए जगह बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यह वाकई में सभी के लिए व्यक्तिगत विकास को प्रेरित करने का वाहक बन सकता है। इससे हमारे छात्रों को काफी फायदा होगा। उत्कृष्ट शिक्षा के माध्यम से उन्हें नौकरियों के लिए अच्छे से तैयार किया जा सकेगा।

गौरतलब है कि इससे पहले 2021 में ICCR ने इटली में इंडोलॉजिकल अध्ययन की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को दर्शाते हुए नेपल्स के लोरिएंटल विश्वविद्यालय में हिंदी पीठ की स्थापना की थी। 



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