ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल एंड कंप्यूटर इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर भाविन आर शेठ ने नींद के विभिन्न चरणों के वर्गीकरण का नया तरीका विकसित किया है, जो नींद से संबंधित दवाओं में क्रांति ला सकता है।
यह इनोवेटिव तरीका प्रो. शेठ ने एक पूर्व छात्र के सहयोग से तैयार किया है। इसमें सिंगल लेड इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी बेस्ड डीप लर्निंग न्यूरल नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया है। यह पारंपरिक पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट के लिए आसान और आसानी से उपलब्ध तरीका मुहैया कराता है।
पॉलीसोम्नोग्राफी को इस वक्त स्लीप टेस्टिंग का गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है। इसमें शरीर में बहुत से सेंसर और तार लगाए जाते हैं, जिससे आरामदायक नींद में मुश्किलें आती हैं। शेठ की नई विधि में केवल दो इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं और इसे घर पर भी आजमाया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया काफी सरल है।
कंप्यूटर्स इन बायोलॉजी एंड मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में शेठ ने कहा कि हमारा तरीका महंगे और बोझिल उपकरणों से छुटकारा दिलाकर गोल्ड स्टैंडर्ड पॉलीसोम्नोग्राफी के जरिए एक्सपर्ट लेवल का परीक्षण उपलब्ध कराता है। इसे करने के लिए किसी ट्रेंड चिकित्सक की आवश्यकता नहीं होती।
शेठ के इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी आधारित मॉडल को 5 से 90 वर्ष की उम्र के लोगों पर आजमाकर देखा गया है। 4000 से अधिक परीक्षणों से पता चला है कि ये क्लिनिक में कराए गए पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट के समान नतीजे प्रदान कर सकती है। शेठ के इनोवेशन को ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर न्यूरोइंजीनियरिंग एंड कॉग्निटिव सिस्टम्स ने भी सपोर्ट किया है।
भाविन शेठ ने लॉस एंजिल्स स्थित दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूएससी) से स्नातक किया है। यूएससी में कंप्यूटर साइंस में मास्टर ऑफ साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्रियां ली हैं। शेठ ने कैम्ब्रिज में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस में पीएचडी किया है।
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