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सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी की इस प्रोफेसर को मिली इस साल की प्रतिष्ठित मैकआर्थर फैलोशिप

शैलजा के कार्यों का फोकस भारत की जाति व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर आने वाली दलित महिलाओं के उत्थान पर रहता है जिन्हें 'अछूत' भी कहा जाता है।

शैलजा पाइक इस फेलोशिप को प्राप्त करने वाले सिनसिनाटी विश्वविद्यालय (यूसी) की पहली प्रोफेसर हैं। / Photo/Joseph Fuqua II/UC Marketing + Brand.

भारतीय मूल की इतिहासकार एवं एक्टिविस्ट शैलजा पाइक को प्रतिष्ठित मैकआर्थर फैलोशिप से सम्मानित किया गया है। इसे आमतौर पर 'जीनियस ग्रांट' के रूप में जाना जाता है।फेलोशिप के तहत भारत में जाति, लिंग और कामुकता पर पाइक के ज़बरदस्त शोध कार्यों में सहयोग के लिए पांच वर्षों तक आठ लाख डॉलर का अनुदान भी शामिल है।

शैलजा पाइक सिनसिनाटी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उनका फोकस भारत की जाति व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर आने वाली दलित महिलाओं के उत्थान पर रहता है जिन्हें 'अछूत' भी कहा जाता है। शैलजा का शोध जाति उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव पर केंद्रित है जो यह पता लगाता है कि दलित महिलाएं ऐसे दमनकारी सिस्टम में कैसे सर्वाइव करती हैं। 

शैलजा ने इस विषय पर काफी लिखा है। उन्होंने  Dalit Women’s Education in Modern India: Double Discrimination’ और ‘The Vulgarity of Caste: Dalits, Sexuality, and Humanity in Modern India’ जैसी किताबें भी लिखी हैं।

शैलजा पाइक ने मैकआर्थर फैलोशिप पर कहा कि मैं इस मान्यता के लिए बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं। यह फेलोशिप दलितों के योगदान, उनके विचारों, कार्यों, इतिहास और मानवाधिकारों के लिए लड़ाई का परिणाम है। यह दलित स्टडीज और एक दलित महिला विद्वान होने के नाते मेरे योगदान का शानदार उदाहरण है।

शैलजा पाइक इस फेलोशिप को प्राप्त करने वाले सिनसिनाटी विश्वविद्यालय (यूसी) की पहली प्रोफेसर हैं। यूसी प्रेसिडेंट नेविल जी पिंटो ने शैलजा पाइक की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम बहुत रोमांचित हैं कि डॉ. पाइक को उनकी उल्लेखनीय कार्यों के लिए मान्यता दी गई है। वह ऐसे लोगों के लिए काम कर रही हैं जिन्हें सदियों से भेदभाव का सामना करना पड़ा है।

विश्वविद्यालय की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि शैलजा पाइक, हिस्ट्री के चार्ल्स फेल्प्स टैफ्ट की प्रतिष्ठित रिसर्च प्रोफेसर और यूसी के कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में महिला, लिंग एवं कामुकता अध्ययन, एशियाई अध्ययन और समाजशास्त्र में एफिलिएट हैं। वह ओहियो में मैकआर्थर फैलोशिप पाने वाले 10 विद्वानों में से हैं। इतना ही नहीं, वह 1981 में अवॉर्ड के शुरू होने के बाद से इसे पाने वाली सिनसिनाटी शहर और सिनसिनाटी विश्वविद्यालय की पहली विद्वान हैं। 

मैकआर्थर फैलोशिप ऐसे लोगों के कार्यों को मान्यता प्रदान करती है जिन्होंने असाधारण रचनात्मकता के साथ कार्य करते हुए महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है और उनके क्षेत्रों में भविष्य के और आधिक योगदान की संभावना है।

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