जुलाई 2024 में दिल्ली में 46वीं विश्व धरोहर समिति के अवसर पर भारत और अमेरिका ने भारत से अमेरिका में कलाकृतियों की तस्करी को रोकने और उस पर अंकुश लगाने के लिए पहले 'सांस्कृतिक संपत्ति समझौते' पर हस्ताक्षर किए थे। नजदीकी द्विपक्षीय रिश्तों को बनाए रखने और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के शैक्षिक और सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए किया गया था, जैसा कि जून 2023 में उनकी मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में दर्शाया गया था।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के अवसर पर अमेरिकी पक्ष 297 प्राचीन धरोहर को वापस करने के लिए तैयार हो गया, जो भारत से चोरी या तस्करी की गई थी। इन्हें जल्द ही भारत वापस किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए इन 297 प्राचीन अमूल्य धरोहर को लौटाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का धन्यवाद किया है। ये प्राचीन धरोहर न केवल भारत की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक आधार भी हैं।
ये प्राचीन धरोहर लगभग 4000 वर्षों की अवधि से संबंधित हैं। 2000 ईसा पूर्व से 1900 ईस्वी तक और भारत के विभिन्न भागों से उनकी उत्पत्ति हुई है। अधिकांश प्राचीन धरोहर पूर्वी भारत में मिट्टी की बनी हुई हैं, जबकि अन्य पत्थर, धातु, लकड़ी और हाथी दांत से बनी हैं और देश के विभिन्न भागों से संबंधित हैं।
वापस की गई कुछ उल्लेखनीय प्राचीन धरोहर में शामिल हैं।
मध्य भारत से 10-11 वीं शताब्दी ईस्वी से बालू पत्थर की बनी अप्सरा। मध्य भारत से 15-16 वीं शताब्दी ईस्वी से कांस्य से बना जैन तीर्थंकर। पूर्वी भारत से 3-4 वीं शताब्दी ईस्वी से मिट्टी की बनी मटकी। दक्षिण भारत से 1वीं शताब्दी ईसा पूर्व-1वीं शताब्दी ईस्वी से पत्थर की मूर्ति। दक्षिण भारत से 17-18 वीं शताब्दी ईस्वी से कांस्य से बना भगवान गणेश की प्रतिमा। उत्तर भारत से 15-16 वीं शताब्दी ईस्वी से बालू पत्थर से बना खड़े हुए भगवान बुद्ध। पूर्वी भारत से 17-18 वीं शताब्दी ईस्वी से कांस्य से बना भगवान विष्णु। उत्तर भारत से 2000-1800 ईसा पूर्व से तांबे से बनी मानवरूपी मूर्ति। दक्षिण भारत से 17-18 वीं शताब्दी ईस्वी से कांस्य से बना भगवान कृष्ण। दक्षिण भारत से 13-14 वीं शताब्दी ईस्वी से ग्रेनाइट से बना भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा।
हाल के समय में, सांस्कृतिक धरोहरों का आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है। 2016 से, अमेरिकी सरकार ने तस्करी या चोरी की गई बड़ी संख्या में प्राचीन धरोहर की वापसी की सुविधा प्रदान की है। 2016 में पीएम मोदी की अमेरिका की यात्रा के दौरान 10 प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर वापस की गई थी। सितंबर 2021 में उनकी यात्रा के दौरान 157 प्राचीन धरोहर और पिछले साल जून में उनकी यात्रा के दौरान 105 सांस्कृतिक धरोहर वापस की गई थीं। 2016 से अब तक अमेरिका से भारत को वापस की गई सांस्कृतिक धरोहरों की कुल संख्या 578 है। यह भारत को किसी भी देश द्वारा वापस की गई सांस्कृतिक धरोहर की सबसे अधिक संख्या है।
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