भारत की सबसे सम्मानित शख्सियतों में से एक डॉ. बीआर अम्बेडकर को भव्य श्रद्धांजलि देते हुए न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय ने हाल ही में बाबा साहेब की 133वीं जयंती मनाई। इस मौके पर एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 1.4 अरब भारतीयों के मसीहा के रूप में प्रतिष्ठित डॉ. अंबेडकर की जयंती पर हुए आयोजन में 195 देशों के नेता और प्रतिनिधि शामिल हुए जो सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की वकालत करने में उनकी उल्लेखनीय विरासत को दर्शाता है।
फाउंडेशन फॉर ह्यूमन होराइजन नामक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि पूरे दो दिन डॉ. अंबेडकर को समर्पित किए गए। इस आयोजन को संयुक्त राष्ट्र में समानता दिवस के रूप में भी मनाया गया।
इस वर्ष के उत्सव में कनाडा, यूक्रेन, यूके, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और नेपाल जैसे देशों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की उपस्थिति दर्ज की गई। आयोजन में डॉ. अंबेडकर के योगदान के लिए वैश्विक सम्मान और मान्यता पर जोर दिया गया था। भारत में समवर्ती चुनावों के कारण भारत के राजदूत की अनुपस्थिति के बावजूद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए आयोजक दिलीप म्हस्के को बधाई दी।
यह कार्यक्रम दो विषयगत चर्चाओं पर केंद्रित था। पहला सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए युवा-नेतृत्व वाले समाधान और हार्मनी हाई: सशक्त शिखर, भविष्य का पोषण - स्वदेशी युवा लचीली पर्वतीय कृषि के लिए नेतृत्व कर रहे हैं। इन विषयों ने 1,000 से अधिक प्रतिभागियों को आकर्षित किया और दो नीति पत्र तैयार करने पर सहमति हुई। सहमति पत्रों को सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुत किया जाएगा।
फाउंडेशन फॉर ह्यूमन होराइजन के अध्यक्ष दिलीप म्हस्के ने डॉ. अंबेडकर की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मान्यता को देखते हुए इस कार्यक्रम के आयोजन पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नेल्सन मंडेला के बाद डॉ. बी.आर. अंबेडकर ऐसे नेता हैं जिनकी जयंती संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं द्वारा मनाई जाती है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में 50 लाख भारतीय अमेरिकियों और 1.4 अरब भारतीयों के लिए गर्व की बात है। इस आयोजन में विश्व नेताओं द्वारा दिखाई गई रुचि में डॉ. अंबेडकर का भारत को महाशक्ति बनाने का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
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