इंटरनेशनल हिंदी एसोसिएशन (आईएचए) की तरफ से वर्जीनिया में आयोजित कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य और कविताओं की जमकर रसधाराएं बहीं। भारत के तीन प्रख्यात कवियों-कलाकारों - अरुण जेमिनी, शंभू शिखर और मुमताज नसीम ने अपनी प्रस्तुतियों से उपस्थित लोगों का मन मोह लिया।
आईएचए के हालिया कार्यक्रम में उत्कृष्टता की इस परंपरा को बरकरार रखते हुए तीन व्यंग्यकारों-कवियों ने हास्य एवं कलात्मक अभिव्यक्ति के मनोरम मिश्रण से शाम को यादगार बना दिया।
अरुण जेमिनी ने हास्य व्यंग्य में लिपटी कविताओं और चुटकुलों से कार्यक्रम की शुरुआत की। हरियाणा के रहने वाले अरुण एक लेखक, कवि, व्यंग्यकार और टीवी प्रस्तोता हैं। उन्हें हिंदी अकादमी से काका हाथरसी पुरस्कार, हरियाणा साहित्य अकादमी से हरियाणा गौरव सम्मान जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं।
शंभु शिखर ने एक स्टैंड अप कॉमेडियन के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। वाह वाह क्या बात है, से लेकर ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज तक में वह अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। कॉमेडी के अलावा शंभु लेखन भी करते हैं। उन्होंने कई उपन्यास और कविताएं लिखी हैं।
कवयित्री मुमताज नसीम अपनी असाधारण आवाज़ और भावोत्तेजक कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी लेखन शैली में सरलता और गहनता की अनोखा मिश्रण दिखता है। उनकी कविताओं में गहरी भावनात्मक अनुगूंज सुनाई देती है, जो सुनने वालों पर अमिट छाप छोड़ती है।
डॉ. नरेंद्र टंडन ने कवियों का परिचय दिया। आईएचए डीसी चैप्टर के अध्यक्ष प्रताप सिंह ने समारोह का संचालन किया। कार्यक्रम में भारतीय दूतावास की तरफ से प्रथम सचिव (संस्कृति व शिक्षा) नेहा सिंह, द्वितीय सचिव (प्रेस, सूचना व संस्कृति) रवीश कुमार, अताशे राजीव आहूजा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के प्रायोजकों में नेशनल काउंसिल ऑफ एसोसिएशन इन अमेरिका, जीआईए, एसोसिएशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स, द ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन-मेट्रो डीसी के अलावा डॉ. विवेक वैद, मनिंदर सिंह और डॉ. सुरेश गुप्ता प्रमुख रहे।
वाशिंगटन मेट्रो एरिया की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने इस यादगार शाम का आनंद लिया, जिनमें डॉ. ए. अब्दुल्ला, डॉ. हरिहर सिंह, डॉ. रेणुका मिश्रा, डॉ. सुमन वर्धन, डॉ. तहूरा कावाजा, डॉ. जफर इकबाल, कलीम कावाजा, सुनील सिंह, त्रिभुवन सिंह और नुजैरा आज़म प्रमुख थे।
अमेरिका के वर्जीनिया स्थित रोजलिन में आईएचए की 1980 में स्थापना हिंदी संस्कृति एवं साहित्य के समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के उद्देश्य से की गई थी। तब से लेकर अब तक आईएचए एक सम्मानित सांस्कृतिक संस्था के रूप में विकसित हुआ है।
आईएचओ पूरे अमेरिका में लगातार कवि सम्मेलनों के आयोजन से हिंदी के प्रतिष्ठित कवियों को एक मंच पर लाने का काम करता है। आईएचए के मंच पर अटल बिहारी वाजपेयी, काका हाथरसी, डॉ. ब्रजेंद्र अवस्थी, डॉ. गोपाल दास 'नीरज' और विपुल डॉ. सोम ठाकुर जैसे दिग्गज शामिल हो चुके हैं।
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