ब्रिटेन ने हाल ही में अपने वीजा नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। इससे अप्रवासियों, विशेषकर छात्रों पर संभावित गहरे प्रभावों को लेकर अटकलें बढ़ गई हैं। इन हालात में कुछ लोग 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में हैं। इस बीच ब्रिटिश काउंसिल विशेषज्ञों का कहना है कि इन परिवर्तनों का प्रभाव संभवतः सीमित होगा।
यूके के नवीनतम कदम में जनवरी 2024 से प्रभावी छात्र वीजा नीति में एक नियम शामिल है जो स्नातकोत्तर अनुसंधान कार्यक्रमों में नामांकित अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपने आश्रितों और परिवार के सदस्यों को ब्रिटेन लाने से रोकता है। ध्यान रहे कि मास्टर ऑफ रिसर्च (MRes) और डॉक्टरेट कार्यक्रम के छात्रों पर यह नियम लागू नहीं है।
ब्रिटिश काउंसिल में डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन इंडिया रितिका चंदा पारुक एमबीई ने बताया कि ब्रिटेन के अधिकांश स्नातकोत्तर कार्यक्रम अपेक्षाकृत अल्पकालिक हैं। ये कार्यक्रम आमतौर पर लगभग एक वर्ष तक चलते हैं। इसलिए इस परिवर्तन के प्रभाव अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिक्षा स्थलों में अध्ययन की अवधि की तुलना में सीमित हैं। लेकिन इस बदलाव से यूके में उपलब्ध समग्र शैक्षिक अनुभव या अवसरों में महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं होगा।
पारुक ने जोर दिया कि यह नीति वैकल्पिक वीजा मार्गों, जैसे ग्रेजुएट रूट, यंग प्रोफेशनल स्कीम, विजिट वीजा, या कुशल कार्य वीजा को प्रभावित नहीं करती। इससे यह सुनिश्चित होता है कि छात्रों के पास अन्य रास्ते उपलब्ध हैं। स्नातक छात्रों को पहले से ही आश्रितों को लाने की अनुमति नहीं थी और यह नियम नहीं बदला है।
आश्रित वीजा नीति में बदलाव के बारे में गलत धारणाएं कुछ छात्र श्रेणियों के लिए अंतर्निहित छूट के साथ अंतरराष्ट्रीय छात्रों और कार्यक्रमों के केवल एक विशिष्ट खंड को प्रभावित कर सकती हैं।
इन संशोधनों के बावजूद यूनाइटेड किंगडम एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है जो अपने प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों और अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधाओं के साथ लोगों को आकर्षित करता है। यूनाइटेड किंगडम में शिक्षा प्राप्त करने की अपील मजबूत बनी हुई है। यही नहीं, ब्रिटेन के शैक्षणिक परिदृश्य को वैश्विक प्रशंसा भी मिल रही है।
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