यूनाइटेड किंगडम के किंग चार्ल्स तृतीय ने संसद में अपने संबोधन में सरकार द्वारा सीमा सुरक्षा, शरण और आव्रजन जैसे मामलों पर नया विधेयक लाने की घोषणा की है। इस कानून को पूरे देश में लागू किया जाएगा।
इस सीमा सुरक्षा, शरण और आव्रजन विधेयक के तहत नई बॉर्डर सिक्योरिटी कमान की स्थापना की जाएगी। साथ ही प्रशासन को ये अधिकार दिए जाएंगे कि छोटी नौकाओं में इंग्लिश चैनल पार करके आने वालों के खिलाफ काउंटर टेररिजम अधिकारों का इस्तेमाल किया जा सके।
संसद का नया सत्र शुरू होने से पहले अपने संबोधन में किंग ने कहा कि नया कानून राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए तैयार किया गया है। छोटी नावों से चैनल के रास्ते आने वाले लोग हमारी सीमा सुरक्षा को कमजोर बना रहे हैं, जिंदगियां दांव पर लगा रहे हैं। मौजूदा कानून इस क्रॉसिंग को रोकने या लोगों पर तस्करी करके लाने वालों पर मुकदमा चलाने में नाकाम हैं। इससे हमारा वर्तमान शरणार्थी सिस्टम बर्बाद हो गया है।
इस विधेयक की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
बॉर्डर सिक्योरिटी कमान: नई कमान आपराधिक गिरोहों का मुकाबला करने, आतंकवाद विरोधी उपाय लागू करने और इमिग्रेशन संबंधी संगठित अपराधों की जांच के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों को कड़े अधिकार प्रदान करता है। वे सीमा पर अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर पाएंगे और लोगों को रोककर तलाशी ले पाएंगे।
कड़ी सजा: संगठित आप्रवासन अपराध में शामिल लोगों को कडी सजा मिलेगी। प्रवासियों की तस्करी का विज्ञापन करने और संगठित अपराध गिरोहों की मदद करने जैसे अपराधों में भी सख्त सजा का प्रावधान है।
शरणार्थी प्रणाली सुधार: विधेयक का उद्देश्य शरणार्थियों का बैकलॉग खत्म करना, शरण चाहने वालों की होटल सुविधा समाप्त करना, सुरक्षित देशों के लोगों का फास्ट-ट्रैक रिटर्न सुनिश्चित करना है। इसके अलावा रवांडा के साथ असफल प्रवासन एवं आर्थिक विकास भागीदारी (MEDP) की रकम सीमा सुरक्षा कमान को ट्रांसफर करना है।
भारत से अवैध इमिग्रेशन
हाल के वर्षों में यूके में अवैध प्रवासियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। पिछले साल एक हजार से अधिक भारतीय नौकरी और शरण पाने की उम्मीद में अपनी जान जोखिम में डालकर छोटी नावों के जरिए यूरोप से इंग्लिश चैनल पार करते यूके पहुंचे थे।
इस खतरनाक यात्रा में भारतीय प्रवासियों की संख्या में वृद्धि के साथ ही यूके में शरण के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों की संख्या भी काफी बढ़ गई थी। ऐसा पहली बार हुआ कि 2023 में 5,000 से अधिक भारतीयों ने शरण के लिए आवेदन किया।
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