यूके और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते को अंजाम तक पहुंचने में अभी वक्त लगेगा। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच हालिया दौर की वार्ता बिना किसी सफलता के खत्म हो गई है। अब दोनों देशों के बीच अगले दौर की बातचीत देश में आगामी लोकसभा चुनाव के बाद ही होगी।
यूके और भारत के बीच व्यापार समझौते के लिए अब तक बातचीत के 14 दौर हो चुके हैं। हालांकि कुछ मुद्दों पर मतभेद बरकरार हैं। हालिया दौर की वार्ता दो हफ्ते तक चली, लेकिन ब्रिटिश और भारतीय अधिकारियों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद अगली वार्ता को कुछ महीने तक टालने का फैसला लिया गया।
पहले उम्मीद दिख रही थी कि भारत में अगले महीने से शुरू होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले व्यापार वार्ता में कुछ बात बन सकती है। इसके लिए ब्रिटेन सरकार के एक सीनियर अधिकारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल पिछले सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली की यात्रा पर आया था। लेकिन बात नहीं बन पाई।
अब दोनों देशों के अधिकारियों को मई या जून में बातचीत की मेज पर फिर से लौटने की उम्मीद है। अधिकारियों का प्रयास है कि ब्रिटेन में होने वाले आम चुनाव से पहले समझौते की शर्तों को फाइनल कर लिया जाए।
ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एफटीए को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की इच्छा जता चुके हैं। वार्ता से परिचित अंदरूनी सूत्रों की मानें तो दोनों पक्ष सौदे को पूरा करने के कगार पर थे। लेकिन यूके के अधिकारियों का मानना है कि भारत की तरफ से सर्विसेज और इनवेस्टमेंट से जुड़े कुछ मसलों पर उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं आ रही है, जिसकी वजह से ट्रेड डील में देरी ही रही है।
यूके ब्रिटिश सेवा क्षेत्र के लिए भारतीय बाजार तक पहुंच की मांग कर रहा है, जो उसकी अर्थव्यवस्था का 80 प्रतिशत हिस्सा है। 1.4 अरब की आबादी के साथ भारत 2050 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है।
भारत व्यापार वार्ता में कठोर रुख के लिए जाना जाता है। भारत सरकार ने इसी हफ्ते यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के साथ 79 अरब पाउंड के सौदे को अंतिम रूप दिया है जिसमें नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं। 16 साल की वार्ता के बाद यह कामयाबी हासिल हो पाई है।
ब्रिटेन और भारत के बीच ट्रेड डील जनवरी 2022 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के नेतृत्व में शुरू हुई थी। जॉनसन ने अक्टूबर 2022 में दिवाली तक सौदे को पूरा करने की उम्मीद जताई थी। हालांकि वीजा जैसे कई मुद्दों पर चुनौतियां बनी रहीं और अब तक सफलता नहीं मिल पाई है।
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