TiE दुबई के मानद चेयरमैन प्रशांत के. गुलाटी ने अमेरिका में रहने वाले पहली पीढ़ी के प्रवासी भारतीयों पर अधिक जोर देने का आह्वान करते हुए कहा कि उनके संबंध भारत से कहीं अधिक जुड़े हुए हैं जो वास्तव में महत्वपूर्ण अमेरिका-भारत वैश्विक साझेदारी को मजबूत कर सकते हैं। पहली पीढ़ी के प्रवासी भारत-अमेरिका संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए अधिक काम कर सकते है, उनकी जिम्मेदारी ज्यादा है।
कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में TiECon 2024 में 'न्यू ग्लोबल इंडिया' शीर्षक से एक पैनल चर्चा में गुलाटी ने यह बात कही। TiE सिलिकॉन वैली समूह द्वारा आयोजित उद्यमियों और प्रौद्योगिकी पेशेवरों की दुनिया की सबसे बड़ी बैठक है जिसका आयोजन मई 1 और 2 को किया गया था।
परिचर्चा के दौरान गुलाटी ने कहा कि पहली बात यह है कि लोग भारत को 1.3 या 1.4 अरब लोगों के रूप में सोचते हैं और एक 'बॉक्स' जिसमें यह रहता है तथा अवसर भारत की सीमाओं में रहते हैं। पर मुझे लगता है कि भारत के अवसर उसकी सीमा से कहीं परे हैं। यहां बैठे हम सभी लोग सीमा से बाहर के अवसर हैं। लिहाजा मेरा मानना है कि अवसरों को सीमाओं से परे जाकर देखना चाहिए।
पहली पीढ़ी के प्रवासियों का मतलब हमारे लिए यहां बहुत है। यहां हममें से बहुत से लोग भारत में पैदा हुए मगर वहां नहीं रहे। इसीलिए हमारे रिश्ते स्पष्ट रूप से बहुत गहरे हैं। हमारा जुड़ाव कहीं अधिक है। हमारे दोस्त अभी भी वहां काम कर रहे हैं। हमारे मित्र अभी भी वहां सत्ता में हैं या वे बदलाव ला सकते हैं।
टाइम्स इंटरनेट के वाइस चेयरमैन सत्यन गजवानी भी बैठक में उपस्थित थे। गजवानी ने भारत में उद्यमिता के भविष्य पर आशावाद व्यक्त किया। पैनल में एक अन्य महत्वपूर्ण बात यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम (USISPF) के अध्यक्ष डॉ. मुकेश अघी ने रखी। अघी ने कहा कि अपनी अर्थव्यवस्था का विकास करते हुए भारत की सबसे बड़ी चुनौती चीन है। वह कभी भी भारत को बराबरी का साझीदार नहीं मानेगा।
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