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भारत के तीन युवा वैज्ञानिकों को उनके अहम योगदान के लिए मिला यह पुरस्कार

भारतीय वैज्ञानिकों में प्रोफेसर राहुल आर नायर, प्रोफेसर मेहुल मलिक और डॉ. तन्मय भरत शामिल हैं। तीनों वैज्ञानिकों को 27 फरवरी को लंदन के बैंक्वेट हाउस में एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा। तीनों वैज्ञानिक 28 फरवरी को आरएसए हाउस में एक सार्वजनिक संगोष्ठी को संबोधित करेंगे।

न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज और ब्लावाटनिक फैमिली फाउंडेशन ने यूके में युवा वैज्ञानिकों के लिए 2024 Blavatnik अवार्ड्स की घोषणा की / The New York Academy of Sciences

न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज और ब्लावाटनिक फैमिली फाउंडेशन ने यूके में युवा वैज्ञानिकों के लिए 2024 Blavatnik अवार्ड्स की घोषणा की। पुरस्कार हासिल करने वाले 9 वैज्ञानिकों में तीन सम्मानित वैज्ञानिक भारतीय हैं। इनमें प्रोफेसर राहुल आर नायर, प्रोफेसर मेहुल मलिक और डॉ. तन्मय भरत शामिल हैं। तीनों वैज्ञानिकों को 27 फरवरी को लंदन के बैंक्वेट हाउस में एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा। तीनों वैज्ञानिक 28 फरवरी को आरएसए हाउस में एक सार्वजनिक संगोष्ठी को संबोधित करेंगे।

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में मैटेरियल फिजिक्स के प्रोफेसर राहुल आर नायर को दो आयामी (2 डी) सामग्रियों के आधार पर एनर्जी-एफिशिएंट सेपरेशन और फिल्ट्रेशन टेक्नॉलजी को विकसित करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। उन्हें पुरस्कार के रूप में 100,000 पाउंड दिया जाएगा।

मेहुल मलिक फिजिक्स के प्रोफेसर हैं। उन्हें नए तरीकों से फोटॉन पर इनकोडिंग जो भविष्य के क्वांटम इंटरनेट की ओर एक मार्ग बनाते हैं, के लिए पुरस्कार दिया गया है। अपनी प्रारंभिक अवस्था में क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी सूचना सुरक्षा के अभूतपूर्व बदलाव ला सकती है, जो मानव समाज के भविष्य के कामकाज के लिए जरूरी है।

क्वांटम फिजिक्स के प्रोफेसर मेहुल मलिक क्रांतिकारी तकनीकों के माध्यम से हेरियट-वाट विश्वविद्यालय में क्वांटम संचार को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रोफेसर मलिक का इनोवेशन उच्च क्षमता वाले क्वांटम नेटवर्क की नींव रखते हैं जो व्यक्तिगत फोटॉनों पर एन्कोड की गई बड़ी मात्रा में जानकारी को सुरक्षित रूप से प्रसारित करते हैं। मेहुल को पुरस्कार के तौर पर 30,000 पाउंड दिया जाएगा।

बैक्टीरिया और आर्किया जैसे सूक्ष्मजीव आमतौर पर जटिल मल्टी सेलुलर समुदायों में पाए जाते हैं। हालांकि, अपेक्षाकृत कम समझा जाता है कि ये मल्टी सेलुलर समुदाय कैसे बनते हैं। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. तन्मय भारत, स्ट्रक्चरल माइक्रोबायोलॉजिस्ट और एमआरसी लेबोरेटरी ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में स्ट्रक्चरल स्टडीज डिवीजन में प्रोग्राम लीडर हैं। उन्होंने सूक्ष्मजीवों पर कोशिका सतह के अणुओं के परमाणु-लेवल के चित्र बनाने के लिए अत्याधुनिक क्रायो-ईटी तकनीकों को विकसित और लागू किया है। इससे पता चलता है कि ये मॉलिक्युल, जटिल मल्टी सेलुलर समुदायों के गठन में कैसे मध्यस्थता करते हैं।

डॉ. भरत के काम के बेहत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अधिकांश रोगजनक बैक्टीरिया मल्टी सेलुलर, एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी समुदायों का निर्माण करके मनुष्यों को संक्रमित करते हैं। यह काम सेल-टू-सेल इंटरैक्शन की गतिशीलता की मौलिक समझ के लिए भी महत्वपूर्ण है जिसके कारण पृथ्वी पर मल्टी सेलुलर जीवन का ऐतिहासिक विकास हुआ। डॉ. भरत को 30,000 पाउंड की राशि दी जाएगी।

युवा वैज्ञानिकों के लिए Blavatnik पुरस्कार, 2007 में Blavatnik परिवार फाउंडेशन द्वारा स्थापित और स्वतंत्र रूप से न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा प्रशासित है। यह न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी और कनेक्टिकट में उत्कृष्ट वैज्ञानिक प्रतिभा की पहचान के साथ शुरू हुआ। 2014 में संयुक्त राज्य में वैज्ञानिकों को पहचानने के लिए ब्लावाटनिक नेशनल अवार्ड्स बनाए गए थे।

Blavatnik Family Foundation दुनिया के कई बेहतरीन शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और भविष्य के लीडर्स को मानव जाति की सबसे बड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए आवश्यक समर्थन और धन प्रदान करता है। न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी संगठन है। यह 1817 से समाज के लाभ के लिए विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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