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दुनिया को इन आपदाओं से बचाएगा NISAR, लॉन्चिंग को लेकर अमेरिका ने कही ये बात

इस साल ISRO और NASA मिलकर NISAR अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट लॉन्च करेंगे। जो पूरी दुनिया को आपदाओं से पहले सूचना देगा। यह वैज्ञानिकों को भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन सहित जलवायु आपदाओं के लिए बेहतर तैयारी करने के लिए हमारे ग्रह की प्राकृतिक प्रक्रियाओं का निरीक्षण करने की अनुमति देता है।

इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से होगी। इसकी कई बार टेस्टिंग हो चुकी है। / @nasa

अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के ब्यूरो ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स (SCA) ने मंगलवार को एक्स पर जानकारी देते हुए कहा है कि इस साल ISRO और NASA मिलकर NISAR अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट लॉन्च करेंगे। जो पूरी दुनिया को आपदाओं से पहले सूचना देगा। यह वैज्ञानिकों को भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन सहित जलवायु आपदाओं के लिए बेहतर तैयारी करने के लिए हमारे ग्रह की प्राकृतिक प्रक्रियाओं का निरीक्षण करने की अनुमति देता है।

इस सैटेलाइट को GSLV-MK2 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। बताया गया है कि इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से होगी। इसकी कई बार टेस्टिंग हो चुकी है।

यह सैटेलाइट तूफान, ज्वालामुखी, भूकंप, ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्री तूफान, जंगली आग, समुद्रों के जलस्तर में बढ़ोतरी, खेती आदि की पहले ही जानकारी दे देगा। धरती पर ढेर लग रहे कचरे और धरती की ओर अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की भी जानकारी इस सैटेलाइट से मिल सकेगी। ये सैटेलाइट धरती पर पेड़ पौधों की घटती-बढ़ती संख्या पर नजर रखेगा। निसार से प्रकाश की कमी और इसमें बढ़ोतरी की भी जानकारी मिल पाएगी।

बताया गया है कि इस सैटेलाइट का दमदार रडार 240 किलोमीटर तक के क्षेत्रफल की एकदम साफ तस्वीरें ले सकेगा। इसे धरती का पूरा एक चक्कर लगाने में 12 दिन लगेंगे। इस दौरान यह धरती के अलग-अलग हिस्सों की रैपिड सैंपलिंग करते हुए तस्वीरें और आंकड़े वैज्ञानिकों को मुहैया कराता रहेगा।

नासा ने पिछले साल ही ISRO को निसार (NISAR) सैटेलाइट सौंप दिया था। इसे लेने खुद इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी गए थे।निसार सैटेलाइट को दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट बताया जा रहा है। यह भारत और अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त साइंस मिशन है। इसरो और नासा ने 2014 में 2,800 किलोग्राम वजनी उपग्रह बनाने के लिए हाथ मिलाया था।

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