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दौ़ड़ कर दूर भगाई मधुमेह की मुसीबत, भारतीय मूल के CFO ने कर दिखाया कमाल!

रवि चंद्रा को 2015 में (51 साल की उम्र में) टाइप-2 मधुमेह का पता चला था। उस समय उनके डॉक्टरों ने बीमारी को ठीक करने के लिए उन्हें दवा शुरू करने की सलाह दी थी। लेकिन उस सलाह को मानने के बजाय चंद्रा ने दौड़ने का विकल्प चुना।

सांकेतिक तस्वीर / @WorldDiabetesF

दुनिया भर में मधुमेह एक आम बीमारी है। यह एक चिकित्सीय स्थिति है जो तब होती है जब शरीर में रक्त शर्करा बहुत अधिक हो जाती है और अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन बनाने में असमर्थ हो जाता है। दुनिया में मधुमेह के बढ़ते मामलों के बीच एक भारतीय मूल के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) ने दवाएं लिए बिना मधुमेह को ठीक करने का अपना तरीका ढूंढ निकाला। अमोली एंटरप्राइजेज लिमिटेड के सीएफओ रवि चंद्रा ने कुछ ही महीनों में अपने टाइप 2 मधुमेह से मुक्ति पा ली। 

रवि चंद्रा को 2015 में (51 साल की उम्र में) टाइप-2 मधुमेह का पता चला था। उस समय उनके डॉक्टरों ने बीमारी को ठीक करने के लिए उन्हें दवा शुरू करने की सलाह दी थी। लेकिन उस सलाह को मानने के बजाय चंद्रा ने दौड़ने का विकल्प चुना और आश्चर्यजनक रूप से उन्हें केवल तीन महीनों में अपने शर्करा के स्तर को सामान्य में वापस लाने में मदद मिली। 

भारतीय मूल के CFO ने अपने संघर्ष के बारे में भी बात की जब उन्होंने दौड़ना शुरू किया था। उन्होंने खुलासा किया कि एक बार अपने दोस्त से प्रेरित होकर उन्होंने 2011 में दौड़ना शुरू किया था लेकिन एक दुर्घटना के बाद सब बंद हो गया। लेकिन जब उन्हें मधुमेह का पता चला तो उन्होंने फिर से दौड़ने का फैसला किया।

चंद्रा ने बताया कि मैंने एक किलोमीटर चलने से शुरुआत की। फिर मैं 10 किलोमीटर तक दौड़ता-चलता-दौड़ता था। जल्द ही मेरी सहनशक्ति में सुधार हुआ और मैं सप्ताह में तीन से चार बार बिना रुके 10 किमी तक दौड़ने लगा। आजकल मैं सप्ताह में छह दिन लगभग 8-9 किमी दौड़ता हूं। उन्होंने कहा कि सप्ताहांत में वह लानताउ द्वीप पर अपने पसंदीदा मार्ग तुंग चुंग (जहां वह रहते हैं) से डिज़नीलैंड और हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक 21 किमी लंबी दौड़ के लिए जाते हैं।

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