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भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती में सफर की परिवर्तनकारी भूमिका

यात्रा केवल एक से दूसरी जगह आने-जाने का अनुभव नहीं है, यह आपसी समझ और संबंधों को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। यह आदान-प्रदान अमेरिका और भारत दोनों समाजों को समृद्ध बना रहा है, मजबूत राजनयिक संबंधों का आधार तैयार कर रहा है।

अमेरिका के लिए भारत सबसे बड़े यात्रा बाजार में से एक है। / image : unsplash/ Anete Lūsiņa

(अमित कुमार शर्मा)

हम 2025 की तरफ बढ़ रहे हैं, इसी के साथ ट्रैवल सेक्टर भी एक परिवर्तनकारी बदलाव की तरफ बढ़ रहा है, खासकर भारत-अमेरिका संबंधों के संदर्भ में। कोरोना महामारी ने लोगों के यात्रा करने के तरीके को काफी कुछ बदल दिया है। पिछले कुछ वर्षों में आई दिक्कतों को देखते हुए हमें नए दौर में सफर को लचीला बनाने, इनोवेशन लाने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत है। यह अमेरिका और भारत के बीच संबंधों की मजबूती में यात्रा की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करता है।

नए दौर का सफर 
कोरोना दौर में आए ठहराव के बाद यात्रा उद्योग मजबूत बनकर उभर रहा है। संकेत हैं कि इंटरनेशनल ट्रैवल की यह रफ्तार आगे भी जारी रहने वाली है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (WTTC) का आकलन है कि भारत का पर्यटन क्षेत्र वर्ष 2024 में जीडीपी में लगभग 253 अरब डॉलर का योगदान कर सकता है। यह महामारी से पहले के स्तर से भी ज्यादा होगा। यह पुनरुत्थान केवल आंकड़ों में नहीं है। यह सीमा पार संपर्क बढ़ाने और नई जगहों की खोज करने की गहरी इच्छा को भी दर्शाता है। 2024 की शुरुआत में अमेरिका के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा यात्रा बाजार बनकर उभरा है। इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग के भी अपार अवसर बने हैं।

आर्थिक प्रभाव और अवसर
पर्यटन का अमेरिका और भारत दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक पहलू भी है। 2024 में अमेरिकी पर्यटक भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, वहीं भारतीय यात्री भी अमेरिका में विविध परिदृश्यों की खोज करते हुए सांस्कृतिक अनुभव ले रहे हैं। मई 2023 तक, अमेरिका आने वाले पर्यटकों में भारतीय दूसरे सबसे बड़े समूह थे। 2022 में भारतीय पर्यटकों ने अमेरिका में लगभग 13 अरब डॉलर खर्च किए थे। इसके अलावा मेडिकल टूरिजम, वेलनेस टूरिजम और एडवेंचर टूरिजम भी खासे लोकप्रिय हो रहे हैं।

भारतीय छात्रों के लिए भी अमेरिका पसंदीदा स्थान है। ऐसे में परिजनों की यात्रा से पर्यटन राजस्व में भी काफी वृद्धि हुई है। अमेरिका में भारतीय डायस्पोरा के लगभग 50 लाख लोग रहते हैं। ये दोनों देशों के बीच प्राकृतिक संबंध बनाते है। इसकी वजह से निजी कार्यों जैसे कि पारिवारिक समारोहों, पुनर्मिलन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि के कारण भी यात्राएं होती हैं। कुल मिलाकर भारत और अमेरिका के बीच यात्रा संबंध दोनों देशों के लिए पर्याप्त आर्थिक अवसर पैदा कर रहे हैं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पारस्परिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान
यात्रा केवल एक से दूसरी जगह आने-जाने का अनुभव नहीं है, यह आपसी समझ और संबंधों को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। जिस तरह अब ज्यादा संख्या में भारतीय और अमेरिकी यात्रा एकदूसरे देश की यात्रा कर रहे हैं, वे अपने साथ अपनी अनूठी संस्कृति, परंपराओं और दृष्टिकोण को लेकर भी आ रहे हैं। यह आदान-प्रदान दोनों समाजों को समृद्ध बना रहा है, मजबूत राजनयिक संबंधों का आधार तैयार कर रहा है। 2025 में सांस्कृतिक पर्यटन को और भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि यात्री अब प्रामाणिक अनुभव चाहते हैं जो उन्हें स्थानीय समुदायों से जुड़ने का मौका दें। सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले अवसर जैसे कि त्योहार, कला प्रदर्शनियां और खान-पान आपसी समझ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 

ट्रैवल में टेक्नोलोजी की भूमिका
सफर में टेक्नोलोजी का एकीकरण 2024 और उसके बाद भी यात्रा के अनुभव को बढाने में सहायक सिद्ध होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से यात्रा उद्योग में भी क्रांति आ रही है। इससे बुकिंग से लेकर ऑन-ग्राउंड सेवाओं तक ग्राहकों का अनुभव बढ़ रहा है। एआई टूल्स यात्रियों को व्यक्तिगत सलाह दे रहे हैं, ग्राहक सेवा को सुव्यवस्थित बन रहे हैं, एयरलाइंस व होटलों की ऑपरेशनल क्षमता सुधार रहे हैं। इसके अलावा रिमोट वर्क कल्चर ने एक नई प्रवृत्ति को जन्म दिया है, वर्ककेशन। इसमें लोग अपने काम और छुट्टियों को जोड़कर आनंद ले रहे हैं। इन बदलावों से लोगों को लंबे समय तक किसी जगह पर रहने और वहां जुड़ाव बनाने का मौका मिलता है। इससे यात्रा का अनुभव और भी समृद्ध हो जाता है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक पेशेवर इस मॉडल को अपनाएंगे, लचीले यात्रा विकल्पों की मांग बढ़ेगी जिसका फायदा अमेरिका और भारत दोनों को होगा।

यात्रा का भविष्य
आने वाले साल 2025 की तरफ की देखें तो भारत और अमेरिका के बीच ट्रैवल का भविष्य उम्मीदों से भरा नजर आता है। चूंकि जलवायु परिवर्तन और आर्थिक उतार-चढ़ाव जैसी वैश्विक चुनौतियां बनी रहेंगी, ऐसे में यात्रा उद्योग को भी उसी के हिसाब से ढलना होगा। पर्यावरण अनुकूल और भरोसेमंद यात्रा के विकल्पों की तलाश करने वाले यात्रियों के साथ सतत पर्यटन की परंपराएं भी महत्वपूर्ण हो जाएंगी। 

2025 में यात्रा का नया युग भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा। आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अभिनव यात्रा का अनुभव इसकी विशेषताएं होंगी। मेरा मानना है कि आगे का ये सफर सिर्फ गंतव्यों के बारे में नहीं है, यह लोगों, संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं के संबंधों के पुलों के बारे में है। अंतरराष्ट्रीय यात्रा का विकसित होता परिदृश्य दोनों देशों के बीच गहन पर्यटन संबंध बनाने और आपसी समझ बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

(लेखक अमित कुमार शर्मा VFS Global के अमेरिका मामलों के प्रमुख हैं) 

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