भारतीय संस्कृति और योग दर्शन का उत्सव मनाते हुए न्यूयॉर्क के मैडम तुसाद म्यूजियम में बाबा रामदेव की मोम की प्रतिमा का अनावरण किया गया है। मैडम तुसाद म्यूजियम जीवित हस्तियों के मोम के पुतलों के लिए विश्व विख्यात है। म्यूजियम ने अपने नये संग्रह में भारत के योग गुरु बाबा रामदेव को शामिल किया है।
भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित म्यूजियम का यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम योग और आयुर्वेद की अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिहाज से एक नया मील का पत्थर है। स्वामी रामदेव की छवि अब मैडम तुसाद की विश्व प्रसिद्ध हस्तियों में शामिल हो गई है। अनावरण समारोह में बाबा रामदेव खुद मौजूद रहे। म्यूजियम में बाबा रामदेव की मोम की प्रतिमा का अनावरण केवल एक आयोजन भर नहीं था बल्कि यह उनकी शिक्षाओं के वैश्विक प्रभाव और भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान की सार्वभौमिक छाप का भी प्रमाण था।
भारत के योग गुरु बाबा रामदेव आधुनिक योग आंदोलन के पर्याय बन चुके हैं। बाबा ने दुनियाभर में लाखों लोगों को योग के लिए प्रेरित किया है। बाबा की पारंपरिक योग प्रथाओं और आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अद्वितीय मिश्रण ने समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के वैश्विक दृष्टिकोण में क्रांति ला दी है। मैडम तुसाद में बाबा की प्रतिमा न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों का सम्मान है बल्कि उस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान का भी प्रतीक है जिसका वह प्रतिनिधित्व करते हैं।
मैडम तुसाद, न्यूयॉर्क के प्रवक्ता टियागो मैगोडोरो ने अनावरण के समय अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने परिवार में बाबा रामदेव की प्रतिमा का स्वागत करते हुए गदगद हैं। योग और आयुर्वेद के ज्ञान को दुनिया में प्रसारित करने के लिए जो अथक प्रयास बाबा ने किये हैं वे पूरी तरह से हमारे मिशन से मेल खाते हैं। इसलिए कि हम अपने संग्रह में उन्हीं हस्तियों को शामिल करते हैं जिन्होंने समाज को उल्लेखनीय रूप से प्रभावित किया हो। उनकी प्रतिमा स्वास्थ्य, आध्यात्मिकता और शांति के प्रतीक के रूप में यहां आ गई है और उनके मूल्य दुनिया भर के लोगों के साथ प्रतिध्वनित होते हैं।
अनावरण के मौके पर बाबा रामदेव ने म्यूजियम के प्रति अपना आभार व्यक्त किया और इस सम्मान का बड़ा दृष्टिकोण रेखांकित किया। बाबा ने कहा कि मैडम तुसाद में 'अमर' होना केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्कृति, विशेषकर योग और आयुर्वेद के वैश्विक प्रभाव की भी मान्यता है। यह प्रतिमा भारत के प्राचीन ज्ञान और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता का प्रतीक और प्रमाण है। बाबा रामदेव की इस प्रतिमा को लोग फरवरी माह के अंत से देख सकेंगे।
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