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सनी सिंह गिल बने प्रीमियर लीग में भारतीय मूल के पहले रेफरी

बीते शनिवार सेलहर्स्ट पार्क में सनी सिंह गिल इंग्लिश प्रीमियर लीग मैच (क्रिस्टल पैलेस बनाम ल्यूटन) में रेफरी बनने वाले पहले भारतीय मूल और ब्रिटिश दक्षिण एशियाई बने।

सनी सिंह गिल / Image : X@Premier League

कोई एक साल पहले सनी सिंह गिल अपने करियर के दोराहे पर खड़े थे। उनके पास दो विकल्प थे। जेल अधिकारी बने रहें या फिर अपने परिवार की समृद्ध फुटबॉल विरासत को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करके हुए रेफरी बनने के अपने युवा काल के सपने का पीछा करें। सनी ने अपने सपने को साकार करने का विकल्प चुना। 

आज 2024 में 39 साल के सनी ने इतिहास रच डाला है। बीते शनिवार सेलहर्स्ट पार्क में सनी सिंह गिल इंग्लिश प्रीमियर लीग मैच (क्रिस्टल पैलेस बनाम ल्यूटन) में रेफरी बनने वाले पहले भारतीय मूल और ब्रिटिश दक्षिण एशियाई बने। क्रिस्टल पैलेस को ल्यूटन टाउन ने 1-1 से बराबरी पर रोका।

कुछ ही दिन पहले ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने एशियन मीडिया ग्रुप की ओर से आयोजित एक पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि इस सप्ताहांत मुझे सनी सिंह गिल को पहले दक्षिण एशियाई के रूप में मैदान पर उतरते हुए देखकर गर्व होगा। सुनक ने कहा कि यह हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे समाज में दक्षिण एशियाई लोगों के अविश्वसनीय योगदान की याद ताजा करता है। यह हमारे साझा मूल्यों को भी याद दिलाता है। यानी कड़ी मेहनत, परिवार, शिक्षा और उद्यम। हमारे पास जश्न मनाने के लिए बहुत कुछ है। 

ऐसा पहली बार नहीं है जब गिल परिवार के किसी सदस्य ने इतिहास के किसी पन्ने पर अपना नाम लिखा हो। सनी के पिता जरनैल सिंह इंग्लिश लीग फुटबॉल के इतिहास में पहले पगड़ीधारी रेफरी थे। उन्होंने 2004 से 2010 के बीच 150 मैचों में रेफरींग की। इसीलिए सनी सिंह कहते हैं कि फुटबॉल हमेशा से हमारे परिवार में दौड़ती रही है। सनी के भाई भूपिंदर प्रीमियर लीग के सहायक रेफरी के रूप में काम करने वाले पहले सिख-पंजाबी थे जब उन्होंने पिछले साल साउथेम्प्टन बनाम नॉटिंघम फॉरेस्ट गेम के दौरान मैदान में दौड़ लगाई थी।

सनी कहते हैं कि मैं और मेरा भाई इस खेल को पसंद करते हुए बड़े हुए हैं और अधिकांश छोटे बच्चों की तरह हम सिर्फ खेलना चाहते थे लेकिन हमारे घर में मामला कुछ अलग था क्योंकि जब हम प्राथमिक विद्यालय में जा रहे थे तो हमें पता था कि हमारे पिता वीकेंड पर रेफरींग के लिए बाहर जा रहे होते थे। कई बार वह प्रीमियर लीग में चौथे अधिकारी होते थे और हमारे दोस्त कहते थे कि उन्होंने उन्हे दिन के मैच में देखा था!

लेकिन सनी के सफर में एक दिलचस्प बात और है। वह यह कि बचपन में उन्होंने रेफरी बनने का सपना नहीं देखा था। ब्रिटेन के अनगिनत बच्चों की तरह सनी भी पेशेवर रूप से फुटबॉल खेलना चाहते थे!

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