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सुदीप्त भौमिक की 'द्वापर कथा' का अमेरिका में लोकार्पण, फिर जीवंत हुआ भारतीय महाकाव्य

लेखक सुदीप्त भौमिका कहते हैं कि हजारों वर्षों से महाभारत ने दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में लोगों को प्रेरित किया है। हालांकि युवा पीढ़ी, विशेष रूप से जेन-जेड और जेन-अल्फा, इससे परिचित नहीं हैं क्योंकि इसे कभी भी सुलभ प्रारूप में उनके सामने प्रस्तुत नहीं किया गया। 'द्वापर कथा' इस अंतर को खत्म करती है।

पुस्तक द्वापर कथा पॉडकास्ट की नाटकीय प्रकृति और सरलता को बरकरार रखती है। / Courtesy

भारत के सबसे प्रिय महाकाव्यों में से एक महाभारत ने पीढ़ियों को आकर्षित किया है। युद्धरत भाइयों, बहादुर पांडवों और दुर्जेय कौरवों की सदियों पुरानी गाथा ने हमारी सामूहिक कल्पना पर एक अमिट छाप छोड़ी है। इसलिए क्योंकि वीरता और खलनायकी की कहानियों के पीछे जटिल मानवीय भावनाएं छिपी हैं जो 'अच्छे' और 'बुरे' के बारे में हमारे विचारों को चुनौती देती हैं। क्या सदाचारी सदैव दुष्ट पर विजय पा सकते हैं? क्या कौरव सचमुच अंधकार के अवतार हैं, जबकि पांडव धर्म का परिचय देते हैं? क्या अंततः धर्म की विजय होती है?

द्वापर कथा : द स्टोरीज ऑफ द महाभारत में सुदीप्त भौमिक मानव स्वभाव की जटिलताओं की गहराई से पड़ताल करते हैं और विभिन्न पात्रों के मानस का पता लगाते हुए उनकी प्रेरणाओं और इच्छाओं को उजागर करते हैं। वह हमें कुरुक्षेत्र से भी अधिक गहरे युद्ध के मैदान में उनके निरंतर आंतरिक संघर्षों में डुबो देते हैं। आप भीम के भड़कते गुस्से को महसूस कर सकते हैं जो उसने राजसभा में द्रौपदी के चीरहरण के दौरान युधिष्ठिर के मौन पर व्यक्त किया था अथवा युद्ध में अपने प्रिय मित्र कर्ण को खोने पर दुर्योधन के विलाप का भी अहसास किया जा सकता है। पांडवों के साथ धर्म और कर्म की अवधारणाओं का अन्वेषण कीजिये क्योंकि सुदीप्त वान-पर्व की सदियों पुरानी कहानियों को उजागर करते हैं ऋषिजन निर्वासित पांडवों के साथ जीवन के पाठ साझा करते हैं।

सुदीप्त के बेहद लोकप्रिय पॉडकास्ट पर आधारित (जिसके 20 मिलियन से अधिक डाउनलोड दर्ज किए गये) 'द्वापर कथा' को पढ़ना आनंददायक है। मनोरम गद्य और आश्चर्यजनक चित्रण इस कालजयी कहानी में नई जान फूंकते हैं जहां अंधेरा और प्रकाश आपस में जुड़ते हैं और नायक-खलनायक में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। महाभारत इससे अधिक मनमोहक, विचारोत्तेजक और जीवंत कभी नहीं रहा..

लेखक सुदीप्त भौमिका कहते हैं कि हजारों वर्षों से महाभारत ने दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में लोगों को प्रेरित किया है। हालांकि युवा पीढ़ी, विशेष रूप से जेन-जेड और जेन-अल्फा, इससे परिचित नहीं हैं क्योंकि इसे कभी भी सुलभ प्रारूप में उनके सामने प्रस्तुत नहीं किया गया। महाभारत पॉडकास्ट की कहानियों ने महाकाव्य को उस प्रारूप में प्रस्तुत करके इस अंतर को पाट दिया है जिसके वे आदी हैं और जिस भाषा से वे परिचित हैं। पुस्तक द्वापर कथा पॉडकास्ट की नाटकीय प्रकृति और सरलता को बरकरार रखती है। मेरा मानना ​​है कि पुस्तक न केवल पॉडकास्ट के लिए एक आदर्श साथी के रूप में काम करती है बल्कि हर उम्र के पाठकों के लिए आसानी से समझने योग्य पाठ भी प्रदान करती है। महाभारत हमें सिखाता है कि जीवन की मूलभूत समस्याएं शाश्वत हैं और उनके समाधान भी शाश्वत हैं। यही कारण है कि महाभारत इतना समसामयिक और आधुनिक बना हुआ है।

रिद्धिमा कुमार, कमीशनिंग एडिटर, हार्पर कॉलिन्स इंडिया, का कहना है कि महाभारत एक कालातीत महाकाव्य है जो कभी पुराना नहीं होता। हर बार पढ़ने पर कुछ नया पेश करता है। सुदीप्त भौमिक की द्वापर कथा एक मनोरम कहानी है। यह कथा न केवल मन को रोमांचित करती है बल्कि आश्चर्यजनक चित्रणों से आंखों को भी मुग्ध कर देती है। यही इसकी जीवंतता है। 
 

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