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नेब्रास्का यूनिवर्सिटी ने इस भारतवंशी प्रोफेसर को प्रदान किया आउटस्टैंडिंग मेंटर अवार्ड

भारत में कर्नाटक के नागाडेनहल्ली के रहने वाले सिद्दप्पा बायरारेड्डी 2016 में यूएनएमसी में शामिल हुए थे। उन्होंने पुरस्कार के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस अवॉर्ड को डॉ. बायरारेड्डी लैब के अपने सभी मौजूदा एवं पूर्व ट्रेनी छात्रों को समर्पित करता हूं। 

सिद्दप्पा यूएनएमसी कॉलेज ऑफ मेडिसिन में वाइस प्रेसिडेंट हैं।  / Image - UNMC/website

नेब्रास्का यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर (यूएनएमसी) के प्रोफेसर सिद्दप्पा बायरारेड्डी को आउटस्टैंडिंग फैकल्टी मेंटर ऑफ ग्रेजुएट स्टूडेंट्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है। सिद्दप्पा यूएनएमसी कॉलेज ऑफ मेडिसिन में फार्माकोलॉजी और एक्सपेरिमेंटल न्यूरोसाइंस में रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट भी हैं। 

भारत में कर्नाटक के नागाडेनहल्ली के रहने वाले बायरारेड्डी 2016 में यूएनएमसी में शामिल हुए थे। उन्होंने पुरस्कार के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस अवॉर्ड को डॉ. बायरारेड्डी लैब के अपने सभी मौजूदा एवं पूर्व ट्रेनी छात्रों को समर्पित करता हूं। 

उन्होंने कहा कि छात्रों की आत्मनिर्भरता और काम करने की आजादी के बिना यह सब संभव नहीं हो पाता। मुझे खुशी है कि करियर की उम्मीदों को पूरा लायक बनाने और उनका मार्गदर्शन करने का मुझे मौका मिला है। 

बायरारेड्डी ने अपने करियर के महत्वपूर्ण अवसरों को याद किया, खासकर कोरोना महामारी के दौरान, जब लैब में की गई खोजों को जनता की भलाई के लिए क्लिनिकल रूप से आजमाने का मौका मिला था। यह दिखाता है कि उनका काम कितना महत्वपूर्ण है।

बायरारेड्डी ने कहा कि पुरस्कार अपनी जगह हैं, लेकिन मेंटरशिप कोई आसान काम नहीं है। विविध पृष्ठभूमि के छात्रों को एकजुट करने, समय का प्रभावी प्रबंधन करना और इम्पोस्टर सिंड्रोम व आत्मविश्वास की कमी जैसे मुद्दों का समाधान करना कई बार चुनौती की तरह बन जाता है। 

उन्होंने कहा कि इस सबके बावजूद जब वह अपने छात्रों को स्नातक करते हुए, अनोखी रिसर्च प्रकाशित करते हुए और सुरक्षित नौकरियां करते हुए देखते हैं तो उन्हें खुशी होती है। ये खुशी तब और भी बढ़ जाती है, जब ऊंचे पदों पर पहुंचने के बाद भी छात्र उनकी सलाह लेने के लिए आते हैं।  

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