भारतीय मूल के अमेरिकी आंत्रप्रेन्योर और राष्ट्रपति पद के पूर्व रिपब्लिकन दावेदार विवेक रामास्वामी ने डिजिटल पब्लिकेशन कंपनी बजफीड में 7.7 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी। इसके बाद ही कंपनी के शेयरों में जोरदार उछाल देखा गया और उनमें 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो गई।
रामास्वामी ने अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग को दी गई जानकारी में कहा कि उनका मानना है कि बजफीड के शेयर का मूल्यांकन कम आंका गया है। भारतीय-अमेरिकी उद्यमी के पास अब कंपनी में 7.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस तरह वह कंपनी में कॉमकास्ट, एनईए मैनेजमेंट और हर्स्ट कम्युनिकेशंस के बाद चौथे सबसे बड़े शेयरधारक बन गए हैं।
रामास्वामी ने कहा कि वह कंपनी मैनेजमेंट के साथ शेयर मूल्य को अधिक से अधिक बढ़ाने के लिए कई ऑपरेशनल और रणनीतिक पहलुओं पर चर्चा करना चाहते हैं, जिसमें कंपनी की रणनीति में बदलाव भी शामिल होगा।
बज़फीड को 2021 में पब्लिक कंपनी बनने के बाद से सेल्स रेवेन्यू में संघर्ष करना पड़ा है। 2022 में कंपनी ने डिजिटल विज्ञापन के खराब माहौल का हवाला देते हुए नौकरियों में कटौती की भी घोषणा की थी।
कंपनी ने बज़फीड न्यूज को 2023 में बंद कर दिया था। ये पुलित्जर पुरस्कार विजेता आउटलेट था। तब सीईओ जोनाह पेरेटी ने कर्मचारियों के नाम एक ज्ञापन में कहा था कि अन्य कारोबार, कंटेंट, तकनीक और प्रशासनिक टीमों में भी छंटनी की संभावना है। 2024 की पहली तिमाही में बज़फीड को 35.7 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था।
बायोटेक उद्यमी रामास्वामी 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरे थे। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दावेदारी के लिए प्रयास किया था। हालांकि आयोवा में वोटरों का समर्थन पाने में नाकाम रहने के बाद 15 जनवरी को उन्होंने ट्रंप का सपोर्ट करते हुए रेस से अपना नाम वापस ले लिया।
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