अमेरिका में धार्मिक समुदायों द्वारा आयोजित एक धर्मार्थ भोजन अभियान सेवा दिवाली ने इस वर्ष 502,000 पाउंड से अधिक भोजन दान किया। इससे 34 राज्यों के 245 से अधिक संगठनों को लाभ हुआ। दान पाने वालों में खाद्य पैंट्री, बेघर आश्रय, पूजा घर और स्कूल शामिल हैं। इस अभियान में हिंदू स्वयंसेवक संघ यूएसए (HSS) के स्वयंसेवकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर संग्रह और दान से जुड़ी गतिविधियों का समन्वय किया।
Grateful for the generosity of Hindu Swayamsevak Sangh (HSS) during SewaDiwali!
इस वर्ष के सेवा दिवाली अभियान में सिख गुरुद्वारों, हिंदू और जैन मंदिरों, स्कूल जिलों, अंतरर्धार्मिक समुदायों, भारतीय अमेरिकी सांस्कृतिक और भाषाई संघों और पूरे देश में हजारों परिवारों और व्यक्तियों की सक्रिय और उत्साहजनक भागीदारी देखी गई। वीटी सेवा, चिन्मय मिशन, आर्य समाज, संस्कृत भारती यूएसए और सेवा इंटरनेशनल जैसे कई धार्मिक संगठनों ने अभियान के लिए अपने समर्थकों के बीच भोजन एकत्र किया।
अभियान का सिद्धांत वाक्य है- परोपकारार्थम इदम शरीरम। यानी यह शरीर परोपकार के लिए है। Image : Sewa Diwali
एकजुटता को पोषित करने और सेवा (निःस्वार्थ सेवा) की अवधारणा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सेवा दिवाली धार्मिक और भारतीय समुदायों को दिवाली के दौरान भोजन अभियान आयोजित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
अक्तूबर में शुरू होने वाला यह अभियान नवंबर के अंत तक चलता है। सेवा दिवाली अभियान इस वर्ष 234 शहरों और कस्बों तक पहुंचा। निस्वार्थ सेवा का यह लगातार छठा वर्ष है। 2018 में अपनी शुरुआत के बाद से सेवा दिवाली परियोजना ने देश भर में 2 मिलियन पाउंड से अधिक भोजन दान किया है।
अभियान का सिद्धांत वाक्य है- परोपकारार्थम इदम शरीरम। यानी यह शरीर परोपकार के लिए है। इस तरह के महान सिद्धांतों का पालन करते हुए इस वर्ष का दान ओक्लाहोमा में मूल अमेरिकियों और कैलिफ़ोर्निया में बौद्ध मठों जैसे विभिन्न लाभार्थियों को दिया गया।
न्यू जर्सी में मिडिलसेक्स कॉलेज फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक लीजा केली ने सेवा दिवाली को उसके उदार दान के लिए धन्यवाद दिया। अमेरिकी कांग्रेसी केविन किली और सीए के रो खन्ना ने कार्यक्रम को मान्यता देते हुए सेवा दिवाली को विशेष कांग्रेसी मान्यता प्रदान की।
सेवा दिवाली के राष्ट्रीय समन्वयक गणेश रामकृष्णन ने कहा कि सेवा दिवाली ने निस्वार्थ भाव से और लगातार दूसरों की मदद करने के विचार को पोषित किया है। इस विचार ने 2023 में अमेरिका भर में खाद्य असुरक्षित कई सैकड़ों लोगों और समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login