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भारतीय-अमेरिकियों की नई पीढ़ी का मूल पहचान से हो रहा मोहभंग, सुरेश शिनॉय ने किया आगाह

Desis Decide में शामिल होने आए सुरेश शिनॉय ने कहा कि जातीय रूप से अल्पसंख्यक प्रवासियों के लिए चुनौतियां तीसरी पीढ़ी के बाद शुरू होती हैं। उनमें अपनी मूल पहचान को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं रहता।

सुरेश शेनॉय अमेरिकन रेड क्रॉस एनसीआर रीजन के चेयरमैन हैं। / image : NIA

भारत से अमेरिका आकर बसे लोगों की  पहली और दूसरी पीढ़ी अपनी मूल पहचान और सांस्कृतिक विरासत से अच्छी तरह जुड़े रहते हैं, लेकिन उनके बाद की पीढ़ियां अपनी इस पहचान को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं रहते। अगर समय कदम नहीं उठाए गए तो इस पहचान के और धूमिल होने का खतरा है। ये कहना है कि भारतीय मूल के अमेरिकी इंजीनियर और समाजसेवी सुरेश शेनॉय का।  

Desis Decide में शामिल होने आए सुरेश शिनॉय ने कहा कि जातीय रूप से अल्पसंख्यक प्रवासियों के लिए चुनौतियां तीसरी पीढ़ी के बाद शुरू होती हैं। उनमें अपनी मूल पहचान को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह नहीं रहता। ऐसे में महत्वपूर्ण यह है कि हम उनसे संवाद करें और उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करते रहे क्योंकि आपकी जातीयता और पृष्ठभूमि से जुड़ाव ही आपको आत्मविश्वास देता है। यही वह चीज है, जो बताती है कि आप एक बहुत ही समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से संबंध रखते हैं।

शेनॉय का मानना है कि भारतीय प्रवासियों की शुरू की  की पीढ़ियों ने अमेरिका में आर्थिक लाभ और उद्यमशीलता के अवसरों का आनंद लिया है। आने वाली पीढ़ियों को भी यह फायदा मिलता रहे, इस पर हमें ध्यान देना होगा। 

Desis Decide समिट सम्मेलन के महत्व के बारे में शेनॉय ने कहाकि देसी शब्द पारंपरिक रूप से भारत के लोगों के लिए इस्तेमाल होता है। हालांकि अमेरिका में जन्मी और यहीं पली-बढ़ी युवा पीढ़ी के लिए देसी शब्द भारतीय के बजाय उनकी अमेरिकी पहचान का संकेत दे सकता है।

उन्होंने कहा कि मैं भारतीय मूल के कई बच्चों को जानता हूं जो अमेरिकी होने और अपने भारतीय मूल पर गर्व करते हैं, लेकिन वे भारतीय कहलाना पसंद नहीं करते। वे अच्छे कारणों से अमेरिकी कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में ये जरूरी है कि हम उन्हें उनकी मूल विरासत से जोड़े रखें।

सुरेश शेनॉय के बारे में बताएं तो वह फिलहाल अमेरिका के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अमेरिकन रेड क्रॉस के चेयरमैन हैं। वह द केवरिक कंपनी, आईएमसी ग्लोबल सर्विसेज के बोर्ड मेंबर हैं। इसके अलावा फेयरफैक्स काउंटी सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार समिति, कैपिटल आईआईटी एलुमनी एसोसिएशन और फेयरफैक्स काउंटी चैंबर ऑफ कॉमर्स में भी अहम भूमिकाएं निभा रहे हैं।

इसके अलावा शेनॉय जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग स्कूल में सहायक फैकल्टी मेंबर हैं। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री हासिल की है। कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है। 

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