अमेरिका के गुरुद्वारा साहिब वेस्ट सैक्रामेंटो ने यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की नीति के खिलाफ दायर मुकदमे में शामिल होने का फैसला किया है। यह मुकदमा इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) द्वारा पूजा स्थलों पर छापेमारी की अनुमति देने वाली नीति को चुनौती देता है।
डेमोक्रेसी फॉरवर्ड (DF) द्वारा इस सप्ताह दायर किए गए संशोधित मुकदमे में दावा किया गया है कि यह नीति धार्मिक स्वतंत्रता को खतरे में डालती है और प्रवासी समुदायों में भय का माहौल पैदा करती है।
गुरुद्वारों में छापेमारी से समुदाय में नाराजगी
DHS अधिकारियों के बारे में बताया गया कि उन्होंने न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के कुछ गुरुद्वारों में प्रवेश किया और अवैध अप्रवासियों की तलाश की, जिससे सिख समुदाय में आक्रोश फैल गया। नेशनल एशियन पैसिफिक अमेरिकन (NAPA) और सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF) सहित कई सिख संगठनों ने इन छापेमारियों की कड़ी निंदा की और इसे धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया।
धार्मिक स्थलों को संवेदनशील स्थानों की सूची से हटाने का निर्णय
जनवरी 2025 में ट्रम्प प्रशासन ने 2011 के उस निर्देश को रद्द करने की घोषणा की, जो इमिग्रेशन अधिकारियों को पूजा स्थलों, स्कूलों और अस्पतालों जैसे "संवेदनशील स्थानों" पर छापेमारी करने से रोकता था। DHS ने 21 जनवरी को कहा कि इस बदलाव से "संवेदनशील स्थान" अवैध अप्रवासियों के लिए शरणस्थल नहीं बन सकेंगे।
सिख समुदाय की चिंता
DHS के इस फैसले के खिलाफ मुकदमे में शामिल होने के बाद, गुरुद्वारा साहिब वेस्ट सैक्रामेंटो ने अपनी घोषणा में कहा कि इस निर्णय का सीधा असर उनकी धार्मिक गतिविधियों पर पड़ा है और इसने संगत के मन में भय का माहौल बना दिया है।
सिख कोएलिशन के कार्यकारी निदेशक हरमन सिंह ने कहा, चाहे किसी के भी राजनीतिक विचार हों, हमारी संगत के लगभग सभी लोग इस बात पर सहमत हैं कि सशस्त्र अधिकारी हमारे गुरुद्वारों में जबरन न घुसें और हमारे समुदाय में डर का माहौल न बनाएं।
हरमन सिंह ने आगे कहा, हम अपने सहयोगी संगठन डेमोक्रेसी फॉरवर्ड के आभारी हैं, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण मुकदमे को आगे बढ़ाया। साथ ही, हम गुरुद्वारा साहिब वेस्ट सैक्रामेंटो के भी आभारी हैं, जिन्होंने पूरे देश के सिखों की आवाज़ उठाने का फैसला किया है जो इस नीति का विरोध कर रहे हैं।
इस मुकदमे का उद्देश्य DHS की नई नीति को चुनौती देना और धार्मिक स्थलों की पवित्रता एवं स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
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