भारतीय प्रोफेसर उर्बशी सिन्हा (Urbasi Sinha) को यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग ने Distinguished International Associates (डीआईए) प्रोग्राम के लिए चुना है। इस प्रोग्राम की थीम भविष्य की तकनीक (Technologies for the Future) है।
प्रोफेसर सिन्हा बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में प्रोफेसर हैं, जो कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। वह आरआरआई में क्वांटम इन्फॉर्मेशन एंड एवं कंप्यूटिंग (QuIC) लैब की प्रमुख हैं। उनका फोकस क्वांटम टेक्नोलोजी पर है, जिसमें उपग्रहों और अन्य फोटोनिक क्वांटम प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से सुरक्षित क्वांटम कम्युनिकेशन विकसित करने पर जोर है।
डीआईए प्रोग्राम के तहत आरआरआई को एक साल के अंदर 10,000 पाउंड तक की राशि प्राप्त होगी। इसका इस्तेमाल प्रोफेसर सिन्हा और यूके से उनके प्रमुख सहयोगी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रो. एड्रियन केंट की वैज्ञानिक गतिविधियों एवं अनुसंधान के लिए किया जाएगा। यह पुरस्कार यूके और अन्य देशों के बीच मौजूदा अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को और आगे बढ़ाएगा।
इस पुरस्कार के लिए पूरी दुनिया से चुने गए 11 शिक्षाविदों में से एक डॉ. सिन्हा ने कहा कि मैं इस प्रतिष्ठित सम्मान को पाकर बहुत खुश हूं। मैंने ब्रिटेन में खासकर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में शिक्षा ली है। ऐसे में अब फिर से यूनिवर्सिटी के साथ औपचारिक तौर से जुड़ने और भारत में अपने शोध को वैश्विक दायरे तक ले जाने का अवसर मिलने से काफी उत्साहित हूं।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2019 में गूगल ने क्वांटम ब्रेकथ्रू हासिल करने का दावा किया था। उसने ऐसा कंप्यूटर विकसित करने का दावा किया था, जो कुछ ही सेकंड्स में ऐसी समस्याओं का हल निकालने में सक्षम है, जिसे पूरा करने में पारंपरिक कंप्यूटरों को सैकड़ों साल लग जाते।
इसके बाद से ही कुछ चुनिंदा देशों में क्वांटम कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करने की होड़ शुरू हो गई थी। भारत ने भी अपना खुद का नेशनल राष्ट्रीय क्वांटम टेक्नोलोजी प्रोग्राम शुरू किया। इसका प्रमुख उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी की मदद से अत्यधिक सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन सिस्टम विकसित करना है।
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