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वैश्विक शांति एवं स्वस्थ समाज के निर्माण में योग की भूमिका

शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर, तनाव कम करके, सहानुभूति बढ़ाकर, संघर्षों के समाधान और वैश्विक चेतना व सहिष्णुता से समुदायों को प्रोत्साहित करके, योग एक अधिक शांतिपूर्ण व सामंजस्यपूर्ण दुनिया को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि तन, मन और आत्मा के शोधन की समग्र प्रणाली है। / साभार X @UNV_India

तनाव, चिंता और संघर्ष से भरी इस दुनिया को स्वस्थ व शांतिपूर्ण समाज बनाने में योग एक शक्तिशाली साधन बनकर उभरा है। योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है बल्कि एक समग्र प्रणाली है जिसमें तन, मन और आत्मा का शोधन होता है। इसके सिद्धांत और प्रथाएं इतनी ताकतवर हैं कि इनमें लोगों और समाज को बदलने की क्षमता है। आइए इस लेख में एक स्वस्थ समाज को बढ़ावा देने और वैश्विक शांति कायम करने में योग की अहम भूमिका की पड़ताल करें-

शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य लाभ
​​​​शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ के लिए योग की व्यापक पहचान है। शारीरिक आसनों से लचीलेपन, शक्ति और संतुलन में सुधार होता है और स्वस्थ शरीर की नींव बनती है। इसके साथ ही गहरी, सावधानीपूर्वक सांस पर ध्यान केंद्रित करने से तनाव और चिंता दूर होती है, रक्तचाप घटता है और समग्र कल्याण का विस्तार होता है। ये शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ स्वस्थ समाज बनाने के लिए आवश्यक हैं क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति ही समुदाय में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।

तनाव में कमी
तनाव एक बहुत बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है, जो विभिन्न बीमारियों और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की वजह बनता है। योग में विश्राम तकनीकों पर जोर दिया जाता है, जैसे कि ध्यान लगाना और गहरी सांस खींचना। इससे तनाव को मैनेज करने में काफी मदद मिलती है। योग लोगों को अपना दिमाग शांत करने और शरीर को तनाव मुक्त करने का तरीका सिखाता है, जिससे लोग जीवन की चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से सामना करने में सक्षम बन सकते हैं। इससे शारीरिक तनाव तो कम होता ही है, अधिक शांतिपूर्ण समाज को बढ़ावा भी मिलता है।

सहानुभूति व करुणा को बढ़ावा देना
योग स्व-जागरूकता और आत्मनिरीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे लोगों को अपने आंतरिक स्वयं से जुड़ने और भावनाओं व प्रेरणाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। यह स्व-जागरूकता अक्सर सहानुभूति और करुणा की भावना को बढ़ाती है। जब लोग अपनी जरूरतों और भावनाओं के अनुरूप होते हैं तो वे दूसरों के प्रति अधिक समझदार और सहायक बन जाते हैं। सहानुभूति और करुणा को बढ़ावा देकर योग बेहतर पारस्परिक संबंधों और सामाजिक सद्भाव व शांति में योगदान दे सकता है।

संघर्षों का समाधान
संघर्ष व्यक्तिगत और वैश्विक दोनों स्तरों पर मानवीय अंतःक्रियाओं की एक सामान्य विशेषता है। योग का अहिंसा दर्शन और समता व संतुलन पर जोर संघर्षों के समाधान में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। योगाभ्यास लोगों को शांत और केंद्रित दिमाग के साथ असहमति से निपटने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह समस्याओं के शांतिपूर्ण और गैर-हानिकारक समाधान पर जोर देता है। यह दृष्टिकोण एक सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने और वैश्विक शांति में योगदान के लिए आवश्यक है।

माइंडफुलनेस और वैश्विक चेतना
योग माइंडफुलनेस पर जोर देता है जो वर्तमान में पूरी तरह उपस्थित होने का अभ्यास है। जागरूकता का यह स्तर व्यक्ति से परे समग्र रूप से समाज तक फैला है। योग और माइंडफुलनेस के माध्यम से व्यक्ति दुनिया से बेहतर तरीके से जुड़कर उसकी भलाई की साझा जिम्मेदारी के प्रति अधिक जागरूक बन सकता है। यह वैश्विक चेतना व्यक्तियों को जलवायु परिवर्तन से लेकर सामाजिक न्याय जैसी वैश्विक चुनौतियों के समाधान की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकती है, जो अधिक शांतिपूर्ण एवं टिकाऊ समाज के लिए आवश्यक है।

सहिष्णुता एवं समझ बढ़ाना
योग का जन्म भारत में हुआ लेकिन यह सांस्कृतिक व भौगोलिक सीमाओं को पार कर पूरे विश्व तक फैल चुका है। इसका अभ्यास करने वालों की विविधता उस समावेशिता एवं स्वीकृति को दर्शाती है जिसे योग बढ़ावा देता है। इस समावेशिता से एक ऐसा अधिक सहिष्णु व समझदार समाज तैयार हो सकता है, जहां मतभेदों को खुले मन से स्वीकार किया जाता है। योग लोगों को एक-दूसरे की विशिष्टता का सम्मान करने और सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो वैश्विक शांति एवं एकता के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण है।

सामुदायिक भावना का निर्माण
योग में लोगों को एक साथ लाने की उल्लेखनीय क्षमता है। योगाभ्यास और योग कक्षाएं समान विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने और सहायक समुदायों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ये समुदाय योग स्टूडियो से परे और बड़े पैमाने पर समाज में विस्तार कर सकते हैं, अपनेपन व एकता की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। इस तरह के संपर्कों से अधिक सामंजस्यपूर्ण व परस्पर सहयोग की दुनिया तैयार हो सकती है।

कुल मिलाकर देखें तो एक स्वस्थ समाज तैयार करने और वैश्विक शांति कायम करने में योग की भूमिका को अतिरंजित नहीं किया जा सकता है। यह प्राचीन अभ्यास स्वास्थ्य, कल्याण एवं आध्यात्मिकता के प्रति समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह लोगों को ऐसे साधनों से लैस करता है जो जीवन की चुनौतियों से पार पाने के लिए जरूरी होते हैं। 

शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर, तनाव कम करके, सहानुभूति बढ़ाकर, संघर्षों के समाधान और वैश्विक चेतना व सहिष्णुता से समुदायों को प्रोत्साहित करके, योग एक अधिक शांतिपूर्ण व सामंजस्यपूर्ण दुनिया को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जैसे-जैसे अधिकाधिक लोग योग की शिक्षाओं को अपनाएंगे, हम सभी के लिए एक उज्जवल, अधिक शांतिपूर्ण भविष्य तैयार होगा, ऐसी आशा है।

लेखक  डॉ. एचआर नागेंद्र बेंगलुरु की S-VYASA यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं।

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