भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना ने कहा है कि संबंधों की मजबूती के लिए हमे इस दृष्टिकोण के साथ सार्थक चर्चा और संवाद करना चाहिए कि- हमारे लोकतंत्र में ये खामियां हैं, आपके लोकतंत्र में क्या कमियां हैं। भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती के लिए यही एक बेहतर रास्ता है, न कि भारत को प्रवचन देना। इसी के साथ खन्ना ने कहा कि अमेरिका के वर्तमान सत्ता प्रतिष्ठान को अपने रुख में बदलाव लाते हुए भारतीय नेतृत्व को सवालों में खड़ा नहीं करना चाहिए।
देसीज डिसाइड शिखर सम्मेलन में खन्ना भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की हाल की टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे जिसमें विदेश मंत्री ने भारत को उपदेश देने की कोशिश करने की पश्चिम की प्रवृत्ति की आलोचना की थी। खन्ना ने कहा कि अगर आप भारत के विदेश मंत्री या किसी अन्य शख्स से उपदेश देने के दृष्टिकोण से बात करेंगे तो उससे कुछ रचनात्मक नहीं निकलने वाला। शिखर सम्मेलन में खन्ना के साथ मंच पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय के अन्य प्रतिष्ठित लोग और कांग्रेसी भी मौजूद थे।
खन्ना के कथन पर अन्य भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी प्रमिला जयपाल ने कहा कि मैं रो की इस बात से सहमत हूं कि हम उपदेश नहीं देना चाहिए लेकिन इसी के साथ हमे अमेरिकी हितो में बारे में भी सोचना होगा। भारत हमारा एक महत्वपूर्ण साझेदार है। कुछ भी कहने से पहले हमे देखना चाहिए कि भारत में क्या चल रहा है। हमे उस पर ध्यान देना चाहिए।
प्रमिला के बाद भारतीय मूल के सांसद श्री थानेदार ने कहा कि मैं कई कारणों से भारत और अमेरिका के मजबूत संबंधों का समर्थक हूं। थानेदार ने कहा कि आज दोनों देशों के बीच मजबूती की आवश्यकता है। भारत बरसों से अमेरिका और रूस से दोस्ती निभा रहा है लेकिन अब समय आ गया है कि भारत अमेरिका के साथ अपने सुदृढ़ संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करे। मैं इस पर कुछ काम भी करना चाहता हूं।
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