अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मेक्सिको सीमा पार करके देश में आकर शरण मांगने की प्रथा पर व्यापक प्रतिबंधों की घोषणा की है। सरकार के इस कदम पर आव्रजन अखंडता, सुरक्षा एवं प्रवर्तन उपसमिति की रैंकिंग सदस्य भारतीय-अमेरिकी प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने असंतोष जताया है।
प्रमिला जयपाल ने एक बयान में कहा कि अमेरिका के आव्रजन कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत प्रवासियों को शरण मांगने का कानूनी अधिकार प्रदान किया गया है। यह बहुत निराशाजनक है कि बाइडन प्रशासन आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 212 (एफ) का इस्तेमाल करके शरण पाने पर पाबंदी लगा रहा है।
उन्होंने कहा कि शरण चाहने वालों के लिए सीमा बंद करने का यह प्रयास अमेरिकी आव्रजन कानून के उसी प्रावधान का उपयोग करता है जिसका डोनाल्ड ट्रम्प ने मुस्लिमों पर बैन लगाने और शरण देने से रोकने के लिए इस्तेमाल किया था। दोनों में मामूली अंतर है, लेकिन मकसद एक ही है- शरण मांगने वालों को सजा देना और ये झूठी धारणा फैलाना कि वे सीमा पर समस्याओं को ठीक कर देंगे।
बाइडेन प्रशासन के नए नियमों के तहत अवैध रूप से मेक्सिको सीमा पार करके अमेरिका आने वाले प्रवासियों को जल्दी निर्वासित किया जा सकता है या मेक्सिको वापस भेजा जा सकता है। हालांकि इस नीति में कुछ लोगों को छूट भी दी गई है, जैसे कि अकेले नाबालिग बच्चे, चिकित्सा या सुरक्षा जोखिम का सामना करने वाले व्यक्ति और तस्करी के शिकार लोग।
प्रमिला जयपाल ने आव्रजन प्रणाली में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि सीमा संबंधी चुनौतियों का समाधान पुराने इमिग्रेशन सिस्टम को दुरुस्त करके हासिल किया जा सकता है। हम ऐसा व्यवस्थित सिस्टम चाहते हैं जो मानवीय हो और कठोर उपायों के बजाय वास्तविक समाधान पेश करे। हमें 21वीं सदी की जरूरत के अनुरूप ऐसे नियमों की जरूरत है, जो परिवारों को मिला सकें, प्रवासियों को जल्दी वर्क परमिट दिला सकें और शरण संबंधी के दावों को निष्पक्ष व कुशलता के साथ निपटा सकें।
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