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भारतवंशी महिला की दुर्लभ बीमारी बनेगी लाखों के लिए उम्मीद की किरण

निज़ार के साथ ये परेशानी 1980 के दशक में शुरू हुई थी, जब वह बच्ची थीं। हड्डियां कमजोर हो गईं, उनके अंग विकृत होने लगे। उनकी बीमारी देखकर डॉक्टर भी दंग रह गए थे। तीन दशक बाद 2010 में जाकर पता चला कि आखिरकार उन्हें कौन सी बीमारी है।

45 वर्षीय निज़ार और उनके 13 व 15 साल के दोनों बेटे। फोटो साभार thejansensfoundation.org /

भारतीय मूल की नीना निज़ार और उनके दो युवा बेटे वर्षों से एक बेहद दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हैं। ये ऐसी बीमारी है, जिसके दुनिया में 40 से भी कम लोगों के पीड़ित होने की जानकारी है। दशकों से दर्द और हड्डियों की कमजोरी झेल रहीं निज़ार ने अब एक अहम कदम उठाने का फैसला किया है।

भारतीय मूल के निज़ार की शादी अमेरिकी नागरिक एडम टिम से हुई है। शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए। वह भी इसी बीमारी से ग्रसित हैं। 45 वर्षीय निज़ार और उनके 15 और 13 वर्ष के बेटे मेटाफिसियल चॉन्ड्रोडिस्प्लासिया नाम की बीमारी से ग्रसित हैं।

यह अत्यधिक दुर्लभ कंकाल संबंधी विकार है। इसके उनके अंग विकृत हो गए हैं, हड्डियां कमजोर हो चुकी हैं, दर्द स्थायी रूप ले चुका है। कई बार सर्जरी और उपचार के बावजूद इसका इलाज संभव नहीं हो सका है।

निज़ार के साथ ये परेशानी 1980 के दशक में शुरू हुई थी, जब वह बच्ची थीं। हड्डियां कमजोर हो गईं, उनके अंग विकृत होने लगे। उनकी बीमारी देखकर डॉक्टर भी दंग रह गए थे। इस बीमारी का रहस्य सुलझाने में तीन दशक से अधिक का समय लग गया। 2010 में जाकर पता चला कि निज़ार को आखिरकार कौन सी बीमारी है।

मेटाफिसियल चॉन्ड्रोडिस्प्लासिया जीन उत्परिवर्तन के कारण होने वाला एक विकार है जो हड्डियों के विकास को विकृत कर देता है। निज़ार और उनके दोनों बेटे हड्डियों के सुधार के लिए कई बार सर्जरी से गुजर चुके हैं। एक को गुर्दे और पित्ताशय में पथरी भी हो गई है। उनकी जिंदगी व्हीलचेयर तक समिट गई है।

अब एक अभूतपूर्व फैसला करते हुए निज़ार एक नए उपचार के लिए पहली मानव परीक्षण बनने की तैयारी कर रही हैं। यह उपचार कामयाब रहा तो न केवल उनके जीवन को बदल सकता है बल्कि गुर्दे की बीमारी से लेकर कैंसर तक विभिन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने वाले लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।

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