भारत के अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य नव्य दिव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर दुनिया भर से बधाइयों और शुभकामनाओं का तांता लगा हुआ है। इनमें दक्षिण कोरिया से आई बधाई कुछ खास है क्योंकि अयोध्या और कोरिया के प्राचीन काल से विशेष संबंध हैं।
भारत में दक्षिण कोरियाई दूतावास की तरफ से एक्स पर कहा गया कि अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठापन समारोह के लिए बधाई। यह स्थान कोरिया और भारत के संबंधों में बहुत खास है क्योंकि यह 48 ईसवी के अयोध्या की रानी सिरीरत्ना (हियो ह्वांग-ओके) और गया (कोरिया) के राजा किम सुरो के बीच वैवाहिक संबंधों से जुड़ा है। पोस्ट में उम्मीद जताई गई कि दोनों देशों के बीच मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के आदर्शवाद से प्रेरित परिवारिक और आध्यात्मिक संबंध और गहरे होते रहेंगे।
Congratulations on the consecration ceremony of the #RamTemple in #Ayodhya. The place holds a great symbolic importance for Korea-India relations based on the matrimonial link between Queen #Sriratna (Heo Hwang-ok) from Ayodhya and King Kim Suro from Gaya(Korea) in 48 A.D. https://t.co/1dyUgb1XOg
— Korean Embassy India (@RokEmbIndia) January 22, 2024
दरअसल, माना जाता है कि कोरिया की रानी हियो ह्वांग-ओक 48 ईस्वी में कारक कबीले के राजा किम सुरो से शादी करने से पहले अयोध्या की राजकुमारी थीं। उन्हें राजकुमारी सुरीरत्ना के नाम से भी जाना जाता है।
रानी हियो ह्वांग-ओक की कहानी प्राचीन कोरियाई पाठ 'सैमगुक युसा' में वर्णित है जिसमें राजा सुरो की पत्नी को दूर के राज्य अयुता की राजकुमारी बताया गया है। इस अयुता को वर्तमान की अयोध्या माना जाता है। 2001 में रानी का स्मारक अयोध्या में स्थापित किया गया था जो दोनों देशों के साझा इतिहास का प्रमाण है।
रानी की विरासत को स्मारक के रूप में विस्तार देने के लिए 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोरियाई यात्रा के दौरान तत्कालीन दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के साथ एक समझौता भी किया गया था। उसी के अनुरूप 2022 में मेमोरियल पार्क का उद्घाटन हुआ।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की मानें तो कारक वंश के करीब 60 लाख लोग अयोध्या को अपनी मातृभूमि मानते हैं। भारत और कोरिया के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की एक आधारशिला अयोध्या से उनके प्राचीन पारिवारिक संबंधों को भी माना जाता है।
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