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भारतीय मूल के राहुल सहगल बने Swiss AmCham के नए सीईओ

राहुल सहगल को व्यापार और सरकारी सेवा दोनों में व्यापक अंतरराष्ट्रीय अनुभव है। उन्होंने सेंट गैलेन यूनिवर्सिटी (एचएसजी) से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और कानून में डिग्री हासिल की है।

राहुल सहगल को सर्वसम्मति से सीईओ चुना गया है। / @SwissAmCham

भारतीय मूल के राहुल सहगल को स्विस-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (Swiss AmCham) का नया सीईओ चुना गया है। वह मार्टिन नेविल की जगह लेंगे, जिन्हें 20 साल के बाद पद छोड़ा है। सहगल का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ है। वह इस साल गर्मियों में नई भूमिका संभालने के लिए तैयार हैं।

राहुल सहगल स्विस नागरिक हैं। उन्हें व्यापार और सरकारी सेवा दोनों में व्यापक अंतरराष्ट्रीय अनुभव है। उन्होंने सेंट गैलेन यूनिवर्सिटी (एचएसजी) से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और कानून में डिग्री हासिल की है। यहीं से उन्होंने अपनी पीएचडी भी पूरी की है। सहगल ने वित्त और स्ट्रेटिजी कंसल्टेंसी से अपना करियर शुरू किया था।

राहुल सहगल 2006 में स्विस मशीनरी निर्माता राइटर के लिए काम करने के लिए भारत चले गए थे। वहां पर उन्होंने शुरू में कपड़ा मशीनरी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया। बाद में मोटर वाहन आपूर्तिकर्ता ऑटोनियम के इंडिया बिजनेस की कमान संभाली।

भारत में रहते हुए राहुल सहगल ने बोर्ड मेंबर के रूप में कार्य किया। बाद में 2011 से 2013 तक स्विस इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (एसआईसीसी) के उत्तरी अध्याय के अध्यक्ष रहे। 2013 में उन्होंने स्विट्जरलैंड की राजनयिक सेवा में योगदान दिया और एक वर्ष तक ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के स्विस मिशन में डिप्लोमैटिक अताशे रहे।

2014 से 2017 तक राहुल सहगल ने बर्न में फेडरल डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स (एफडीएफए) में ह्यूमन सिक्योरिटी डिवीजन में यूनिट के डिप्टी चीफ के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्हें वाशिंगटन डीसी में स्विस दूतावास में काउंसलर और वित्तीय व राजकोषीय मामलों का प्रमुख नियुक्त किया गया। वह इस पद पर चार साल तक रहे।

Swiss AmCham के बारे में बताएं तो यह स्विट्जरलैंड में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सबसे बड़ा संघ है। स्विस और अमेरिकी कंपनियों की प्रमुख पैरोकारी संस्था के रूप में यह एकदूसरे के बाजारों में संचालन सुविधा प्रदान करते हुए आर्थिक नीतियों को बढ़ावा देता है। इसके अंतर्गत सभी आकारों और राष्ट्रीयताओं की कंपनियां हैं। स्विस AmCham का उद्देश्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच दीर्घकालिक विकास एवं सहयोग को बढ़ावा देना है।
 

 

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