अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर आए भारतीय कांग्रेस पार्टी के नेता और संसद में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने नेशनल प्रेस क्लब में विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी। प्रेस क्लब की सेक्रेटरी पूनम शर्मा के साथ सवाल जवाब के दौरान ने अपनी राजनीतिक यात्रा, भारतीय लोकतंत्र की स्थिति, भारत के भविष्य, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि पर अपने दृष्टिकोण पर चर्चा की।
प्रेस क्लब में राहुल की यह दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस है। इससे पहले वह जून 2023 में भी अपना संबोधन दे चुके हैं। अमेरिका और भारत के संबंधों पर राहुल ने कहा कि 21वीं सदी का असली सवाल यह है कि क्या अमेरिका और भारत लोकतांत्रिक, मुक्त समाज में प्रोडक्शन का विजन दे सकते हैं? मुझे लगता है कि इस मामले में एक बड़ा मौका सामने है। भारत को लेकर अमेरिका के दोनों राजनीतिक दलों के रुख में मतभेदों के बारे में राहुल गांधी ने कहा कि भारत के साथ संबंधों के महत्व को लेकर अमेरिका के दोनों दलों में आमतौर पर सहमति है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत के प्रति डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस की नीतियों में कोई महत्वपूर्ण मतभेद होगा।
परिवर्तन यात्रा
राहुल को कुछ लोग एक समय 'अनिच्छुक राजनेता' कहते थे, लेकिन अब काफी लोग उन्हें आत्मविश्वास से भरे नेता की तरह देखते हैं। सार्वजनिक धारणा में इस बदलाव पर राहुल ने कहा कि 2014 में भारत में राजनीति बहुत नाटकीय रूप से बदली। हम राजनीति के एक ऐसे दौर में पहुंच गए हैं, जिसे हमने पहले कभी नहीं देखा था। हम लड़ रहे हैं। यह लड़ाई कठिन है लेकिन अच्छी रही है। अपनी 4,000 किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा पर गांधी ने कहा कि 2014 से पहले अगर आपने मुझे बताया होता कि मैं कन्याकुमारी से कश्मीर तक पूरे भारत में चलूंगा तो शायद मुझे हंसी आती लेकिन मौजूदा दौर में देश के विपक्ष के लिए यही एकमात्र रास्ता बचा था। उन्होंने मीडिया के दमन और सत्तारूढ़ दल द्वारा संस्थागत नियंत्रण का आरोप लगाते हुए लोगों से सीधे जुड़ाव की जरूरत पर जोर दिया।
वैचारिक लड़ाई
राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों के बीच वैचारिक लड़ाई और भाजपा-आरएसएस गठबंधन पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि भारत में एक वैचारिक युद्ध चल रहा है। इसमें देश के दो बिल्कुल अलग दृष्टिकोण आमने सामने हैं। हम बहुदृष्टि में विश्वास करते हैं, जहां हर किसी को फलने फूलने का अधिकार है जबकि दूसरा पक्ष बहुत कठोर, केंद्रीकृत नजरिया पेश करता है। उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की रक्षा के महत्व पर जोर दिया।
जाति प्रतिनिधित्व
शासन में प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर राहुल गांधी ने भारत की शक्ति संरचनाओं में निचली जातियों, दलितों और आदिवासी समुदायों की भागीदारी की कमी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत की 90 प्रतिशत आबादी आदिवासी, निचली जाति, दलित या अल्पसंख्यक समुदाय से है, फिर भी शासन, मीडिया और कॉर्पोरेट जगत में उनकी भागीदारी नाम मात्र की है। गांधी ने जाति जनगणना की वकालत करते हुए कहा कि हम भारत में निष्पक्षता पर डेटा चाहते हैं। एक बार हमारे पास यह आंकड़ा आ जाए तो हम प्रभावित लोगों की स्थिति को दुरुस्त करने के लिए नीतिगत प्रस्ताव तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सभी के लिए समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता है।
आर्थिक भविष्य
भारत के आर्थिक भविष्य पर चर्चा करते हुए गांधी ने बेरोजगारी दूर करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में नई जान फूंकने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि विनिर्माण क्षेत्र को नजरअंदाज करने और सर्विस आधारित अर्थव्यवस्था चलाने का मतलब है कि आप अपने लोगों को रोजगार नहीं दे सकते।
राष्ट्रीय सुरक्षा
भारत की जटिल सुरक्षा चुनौतियों से जुड़े सवाल पर गांधी ने प्रतिक्रियात्मक उपायों के बजाय दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि 'चीन की ताकत बढ़ने से दुनिया बदल रही है और भारत इस भूराजनीतिक बदलाव के केंद्र में है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का दृष्टिकोण लोकतांत्रिक आदर्शों, शांति, अहिंसा और सहयोग जैसे मूल्यों में निहित होना चाहिए जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से राष्ट्र को परिभाषित किया है। गांधी ने देश की क्षमता पर विश्वास जाहिर करते हुए कहा कि भारत स्मार्ट है और इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। पाकिस्तान के मुद्दे पर राहुल ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद दोनों देशों के बीच संबंधों सुधारने में सबसे बडी बाधा है।
खतरे में लोकतंत्र
राहुल गांधी ने भारतीय लोकतंत्र के सामने बड़े खतरे का अपना आरोप दोहराया। उन्होंने पीएम मोदी पर पिछले एक दशक से लोकतंत्र पर हमले करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र केवल राष्ट्रीय संपत्ति नहीं है बल्कि वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक हित का है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के बैंक खाते फ्रीज करने और एक मुख्यमंत्री सहित राजनीतिक हस्तियों को जेल में डालने जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है। भारतीय लोकतंत्र लचीला है और अपनी खोई प्रतिष्ठा पाने के लिए लड़ रहा है।
विश्व में भारत की भूमिका
राहुल गांधी ने वैश्विक मामलों खासतौर से बांग्लादेश और मध्य-पूर्व में भारत की भूमिका पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों के प्रभुत्व पर चिंता जताई, साथ ही सरकार से मैत्रीपूर्ण संबंध कायम रहने की उम्मीद जताई। इजरायल-फिलिस्तीन हिंसा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि मैं किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हूं। राहुल ने 21वीं सदी में भारत के विश्व गुरु बनने की क्षमताओं में अपना विश्वास दोहराया। उन्होंने एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की जो अपने लोगों के कौशल का सम्मान करता हो और जहां सभी को अवसर मिलें।
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