इस दुनिया में जीते जी लोगों की मदद करने वाले तो बहुत से लोग मिल जाएंगे, लेकिन किसी इंसान की मौत के बाद उसकी मदद करने वाले गिने चुने ही होंगे। ऐसे ही एक शख्स हैं इकबाल सिंह भट्टी। भट्टी फ्रांस में Aurore Dawn नाम से एक संस्था चलाते हैं। ये संस्था फ्रांस में जान गंवाने वाले भारतीयों के लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में मदद करती है।
मूल रूप से पंजाब के कपूरथला जिले के निवासी एनआरआई इकबाल सिंह भट्टी पिछले 33 वर्षों से फ्रांस में रह रहे हैं। इस दौरान वह 371 भारतीयों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं। इनमें बहुत से ऐसे लोग भी थे, जिनके परिजनों के पास उनके शव वापस भारत लाने तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में उन्होंने अपनी संस्था के जरिए ऐसे भारतीयों के पार्थिव शरीर भारत तक पहुंचाने में मदद की।
फ्रांस में किसी वजह से अपनी जान गंवाने वाले भारतीयों के शवों को अगर भारत भेजना संभव नहीं हो पाता तो भट्टी वहीं पर उनका अंतिम संस्कार करवा देते हैं। अब तक वे 371 में से 122 लोगों की फ्रांस में ही अंत्येष्टि कर चुके हैं। बाकी 249 लोगों के शवों को उन्होंने अपने प्रयासों से भारत भिजवाया। इसमें से करीब 99 शवों को फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास के खर्चे पर भारत भेजा गया है। ये ऐसे लोग थे, जिनके परिजन उनके शवों को भारत वापस लाने का खर्चा नहीं उठा सकते थे।
करीब 69 साल के इकबाल सिंह भट्टी ने 2005 में फ्रांस में मानवाधिकार संस्था Aurore Dawn की स्थापना की थी। भट्टी जब भी भारत आते हैं, अपने साथ फ्रांस में अंतिम संस्कार के बाद उनके अवशेष साथ लेकर आते हैं और भारत में उन लोगों के परिजनों को सौंप देते हैं। कोरोना काल में फ्रांस में जान गंवाने वाले भारतीयों के शवों के अंतिम संस्कार में भी उन्होंने काफी मदद की थी।
इस अनूठे कार्य के लिए इकबाल सिंह भट्टी को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। भारत सरकार भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है। उन्हें सात गोल्ड मेडल और विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति पत्र भी प्राप्त हो चुके हैं।
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