भारत की पंजाब पुलिस ने 155 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन पर आरोप है कि ये अमेरिका में रहने वाले लोगों को फर्जी कॉल करके ठगी करते थे। पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने राज्य के मोहाली जिले में चल रहे दो फर्जी कॉल सेंटरों का भंडाफोड़ किया है। इन्हीं कॉल सेंटरों से इन आरोपियों को पकड़ा गया है।
पंजाब पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये फर्जी कॉल सेंटर मोहाली शहर के सेक्टर 74 और ए-वन टावर से संचालित हो रहा था। दोनों कॉल सेंटर कथित तौर पर गुजराती सरगनाओं द्वारा चलाए जा रहे थे। डीजीपी ने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला कि ये कॉल सेंटर रात में विदेशी नागरिकों को निशाना बनाते थे। उन्हें Apple, Amazon आदि के गिफ्ट कार्ड लेने के लिए धोखा देते थे।
एसपी साइबर क्राइम जशनदीप सिंह और डीएसपी प्रभजोत कौर के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दोनों फर्जी कॉल सेंटरों पर छापा मारा था। बैंकर्स और फ्लोर मैनेजर के रूप में काम करने वाले सभी 155 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों ने कहा कि दो मुख्य आरोपी अभी भी फरार हैं और उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस प्रयास कर रही है।
डीजीपी ने कहा कि ट्रेनिंग एंड एनालिसिस टेक्निकल असिस्टेंस सेंटर (DITAC) की मदद से विदेशी नागरिकों को निशाना बनाया गया था। छापेमारी के दौरान पुलिस टीम ने 79 डेस्कटॉप कंप्यूटर यूनिट, 204 लैपटॉप, मोबाइल फोन और ग्राहकों से बात करने के लिए ट्रेनिंग स्क्रिप्ट के अलावा अन्य सामान बरामद किए।
एडीजीपी साइबर क्राइम वी. नीरजा ने बताया कि गिरफ्तार किए गए कुल 155 लोगों में से 18 आरोपियों को पुलिस रिमांड में ले लिया गया है। अन्य गिरफ्तार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस धोखाधड़ी का पूरा खुलासा करने के लिए आगे की जांच चल रही है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।
डीजीपी ने बताया कि Amazon के मामले में एक धोखेबाज जो खुद को इसका कर्मचारी बताता था। वह अमेरिकी ग्राहकों को कॉल करता था और उन्हें धमकाता था कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उनकी पैकेज को अवैध सामान से युक्त बताकर संघीय अधिकारियों को रिपोर्ट कर दिया जाएगा। उन्हें अपने ऑर्डर को रद्द करने के लिए कैश ऐप या Amazon गिफ्ट कार्ड का उपयोग करके राशि निकालने का निर्देश दिया गया था। ऐसा नहीं करने पर संघीय पुलिस को रिपोर्ट करने की धमकी दी गई थी। फिर गिफ्ट कार्ड के नंबर अमेरिका में उनके साथियों को दिए जाते थे, जो उस रकम को रिडीम करते थे। फिर हवाला के माध्यम से भारत में ऑपरेटरों को नकद भेज दिया जाता था।
Microsoft से धोखाधड़ी करने वाले स्कैमर अपने शिकार को एक नंबर पर कॉल करने के लिए बरगलाते थे। उन्हें एक पॉप-अप विंडो भेजता था जो माइक्रोसॉफ्ट कस्टमर सर्विस से एक चेतावनी संदेश जैसा दिखता था। इसके बाद, पीड़ित को डाउनलोड लिंक मिलता है, जो एक ऐसा ऐप इंस्टॉल करता है जो स्क्रीन देखने की अनुमति देता है। इसके बाद, बैंक खातों से पैसे अमेरिका में MIUL खातों में धोखाधड़ी से ट्रांसफर किए जाते थे। फिर हवाला के माध्यम से मोहाली में आरोपियों को भेज दिए जाते थे।
डीजीपी ने बताया कि इस मामले में स्टेट साइबर क्राइम सेल में आईटी अधिनियम की धारा 66 (3) और 66 (4), साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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